'चकमक बुर्का पहनना गुनाह, मर्द होते हैं आकर्षित'- दारुल उलूम

संक्षेप:

  • चुस्त व चमक-दमक वाले बुर्के पहनना है गुनाह- दारुल उलूम 
  • मुफ्तियों के मुताबिक औरत छिपाने की चीज है
  • `लिहाजा बिना जरुरत उनका घर से बाहर निकलना गलत`

फतवों की फेहरिस्त में दारुल उलूम ने एक और फतवा जारी किया है। सहारनपुर के देवबंद स्थित इस्लामिक शिक्षण संस्था दारुल उलूम ने अब महिलाओं के पहनावे को लेकर फतवा जारी किया है। दारुल उलूम के मुफ्तियों के मुताबिक मुस्लिम महिलाओं के चुस्त व चमक-दमक वाले बुर्के पहनने को इस्लाम में सख्त गुनाह और नाजायज बताया गया है।

मुफ्तियों के मुताबिक औरत छिपाने की चीज है, लिहाजा बिना जरुरत उनका घर से बाहर निकलना भी गलत है। इसके अलावा अगर किसी काम की वजह से घर से बाहर निकलना भी पड़े तो उन्हें ऐसे बुर्के नहीं पहनने चाहिए जिससे अजनबी मर्द की निगाहें आकर्षित हों।

वहीं दारुल उलूम के बुर्के को लेकर दिए गए फतवे पर राजधानी लखनऊ की महिलाओं ने मिलीजुली प्रतिक्रिया दी है. महिलाओं का कहना है कि असल में यह फतवा असल मुद्दे से ध्यान भटकाने की कोशिश है. सामाजिक कार्यकर्ता नाईश हसन ने कहा कि यह बेहद ही गैर जरुरी सवाल है जो बे मौके पर पूछा गया है और इस पर फतवा भी जारी हो गया। ऐसे सवाल पूछने वालों की मंशा ठीक नहीं है।

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दूसरी तरफ आल इंडिया मुस्लिम महिला पर्सनल लॉ बोर्ड की अध्यक्ष शाईस्ता अंबर का कहना है कि महिलाओं के पहनावे को लेकर अक्सर सलाह मिलती रहती है. मेरा मानना है कि आज भी बहुत सी महिलाएं बुर्का नहीं पहनती. या फिर कभी कभार पहन लेती हैं. ऐसे बुर्के नहीं पहनना चाहिए जिससे शरीर का प्रदर्शन हो।

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