मेरठ निकाय चुनाव, दावेदार लगा रहे लखनऊ के फेरे

संक्षेप:

  • सूरमाओं के अरमान धड़ाम, दलों में मची खलबली
  • पहली बार अनुसूचित जाति महिला बनेगी मेयर
  • जो चर्चा में रहा बीजेपी ने उस पर नहीं खेला दांव

मेरठः निकाय चुनाव में मेयर पद पर आरक्षण की घोषणा के साथ ही चुनावी बिसात बिछ गई है। मुख्य सियासी दलों में प्रत्याशियों के नामों को लेकर सियासी पारा चढ़ गया। सीधे तौर पर माना जा रहा है कि बीजेपी, सपा और बीएसपी में टक्कर होगी। कांग्रेस के भी गुल खिलाने से इंकार नहीं किया जा सकता है। तमाम धुरंधरों के सियासी अरमान धरे रह गए और मेयर की सीट अनुसूचित जाति की महिला के लिए आरक्षित कर दी गई। स्थानिय निकाय निदेशालय की अधिसूचना जारी होते ही सियासी सरगर्मी बढ़ गई है। बीजेपी के तमाम दावेदारों की धड़कन बढ़ गई है।

मेरठ नगर निगम पहली बार अनुसूचित कोटे में गई है। बीजेपी प्रदेश उपाध्यक्ष कांता कददम लिस्ट में सबसे आगे है। जबकि सपा और बसपा ने भी विकल्पों पर मंथन तेज कर दिया है। 20 अक्टूबर तक आपत्यिां दाखिल की जा सकेगीं। स्थानिय निकाय निदेशालय ने गुरूवार रात प्रदेश के सभी 16 नगर निगम में मेरठ के आरक्षण की स्थिति साफ कर दी है। तमाम कयास धरे रह गए और मेरठ नगर निगम की सीट अनुसूचित जाति की महिला के खाते में चली गई। शासन द्वारा जारी सूची में मथुरा, मेरठ, फिरोजाबाद, वाराणसी, सहारनपुर व गोरखपुर नगर निगम अनुसूचित एंव पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित किए गए है। जबकि 3 महिला एंव 7 सामान्य सीटें घोषित हुई है।

प्रदेश में मेरठ एकलौती अनुसूचित महिला के लिए आरक्षित सीट है। सूचना जारी होते ही राजनैतिक घमासान तेज हो गया। लंबे समय से टिकट मांग रहे दिग्गज एक दूसरे को ढाढस बांधे हुए हैं। बीजेपी नेताओं के सर्वाधिक फोन प्रदेश सरकार में मंत्री एंव पूर्व क्षेत्रिय अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह के पास पहुंचें। मेरठ का सियासी ताप इन दिनों बढ़ा हुआ था। विधानसभा चुनाव के बाद जहां बीजेपी रोजाना नए कार्यक्रमों के जरिए कार्यकर्ताओं के संपर्क में है तो वहीं सपा और बसपा में भी इन चुनावों को लेकर हलचल तेज थी।

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यह सीट बीजेपी ने पिछली बार सपा के शासनकाल में जीती थी जो इस बार भी सबसे बड़ी दावेदार है। इस बार अनुमान लगाया जा रहा था कि पिछले साल की तरह सीट इस बार भी सामान्य होगी जिसे देखते हुए भावी उम्मीदवारों ने लखनऊ के चक्कर लगाने शुरू कर दिए थे। लेकिन पार्टी ने जातिगत समीकरण साधते हुए हर मोर्चा मजबूत रखा। सामान्य सीट की आहट के बीच दर्जन भर से ज्यादा उम्मीदवार चर्चा में थे। जबकि ओबीसी में मेयर हरिकांत अहलूवालिया सबसे बड़े दावेदार थे। हालांकि पार्टी के अंदर का एक खेमा महिला अनुसूचित सीट की भी संभावना जता रहा था। तमाम पदाधिकारियेां का कहना था कि लंबे समय के बाद सीट सामान्य होगी, जिससे जातिगत एंव अन्य समीकरण भी सतुंलित किए जा सकेगें।

निकाय चुनावों में मेरठ नगर निगम सहित सभी तीन सीटें आरक्षित कर दी गई है। नगर निगम जंहा अनुसूचित महिला के कोटे में गया। वहीं नगर पालिका पिछड़ा वर्ग और सरधना अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित हुई है। इसके अलावा सभी नगर पंचायतों की स्थिति भी साफ कर दी गई है। किठौर, सिवालखास, खिवाई, हर्रा, दौराला, शांहजापुर नगर पचांयत महिलाओं के लिए आरक्षित है। जबकि खरखौदा अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित की गई है। सामान्य सीटों में किला परीक्षितगढ, बहसूमा एंव हस्तिनापुर को शामिल किया गया है। पिछड़ा वर्ग के कोटे में करनावल, फलावदा। जबकि पिछड़ा वर्ग महिला के लिए लावड़ रिर्जव है।

 

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