Holi 2018: SSP ने पैगंबर मोहम्मद का हवाला देकर की मुसलमानों से होली पर शांति की अपील

संक्षेप:

  • मुजफ्फरनगर के एसएसपी ने की होली पर शांति की अपील
  • जिले में बंटवाए पंफलेट
  • 2013 में मुजफ्फरनगर में हो चुका है दंगा

होली का रंग चढ़ने लगा है जिस कारण प्रशासन के सामने भी सुरक्षा व्यवस्था को बनाए रखने के लिए जिम्मेदारी बढ़ गई है। इसी को देखते हुए एक आईपीएस ने होली पर मुसलमानों से एक ऐसी अपील की है, जो अब चर्चा का विषय बन गई है।

इतना ही उन्‍होंने इसके पंफलेट छपवाकर जनपद में बंटवाए। यह आईपीएस कोई और नहीं बल्कि मुजफ्फरनगर के एसएसपी अनंत देव तिवारी हैं। यह वहीं मुजफ्फरनगर है, जो 2013 में हुए दंगों की आग में झुलस चुका है।

वहीं, समाजसेवी गौर सिद्दीकी ने कहा कि यह पुलिस की अच्छी पहल है। इससे लोगों में जागरूकता आएगी। जगह-जगह शांति समिति की बैठक से भी अच्‍छा संदेश मिल रहा है। पंफलेट से लोगों में जागरूकता आ रही है। बात-बात पर आपा खोने वालों को इसके जरिए यह बताया जा रहा है कि मोहम्मद साहब कितने सहनशील थे।

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दरअसल, इस बार होली शुक्रवार को पड़ रही है मतलब जुमे वाले दिन। इस दिन मुसलमान बड़ी संख्‍या में मस्जिदों में नमाज अदा करेंगे जबकि हिंदू धर्म के लोग होली के रंग में सराबाेर रहेंगे। ऐसे में किसी मुसलमान पर रंग पड़ने के कारण कहीं स्थिति बिगड़ न जाए, इसे देखते हुए एसएसपी अनंत देव ने जिले में पंफलेट बांटकर यह अपील की है। अनंत देव ने पत्र लिखकर उनसे अपने पैगंबर की सुन्नत पर अमल करने की अपील की है। उन्होंने मोहम्मद साहब की ही सहनशीलता और उदारता की एक घटना का जिक्र करते हुए यह पत्र लिखा है।

ये है पंफलेट में...

दोस्तों, आप उस रसूल-ए-पाक के उम्मत के फर्द (सदस्य) हैं जिसके रसूल-ए-पाक जिस रास्ते से गुजरते थे, उस रास्ते पर रहने वाली एक बूढ़ी महिला रसूल पर गंदगी डाल देती थी। रसूल उसे झाड़कर निकल जाते थे। यह सिलसिला रोज का था। एक दिन उस महिला ने रसूल पर गंदगी नहीं फेंकी तो रसूल वहीं रुक गए और उस औरत के बारे में जानकारी हासिल की। पता चला कि वह बीमार है। रसूल इजाजत लेकर उस महिला के घर में गए और उसका हालचाल पूछा। महिला ने देखा कि यह वही शख्स है जिस पर वह गंदगी फेंकती थी।

उसे लगा कि मोहम्मद साहब बदला लेने आए हैं, लेकिन जब मोहम्मद साहब ने उसका मिजाज पुर्सी की बात की और उसके इलाज का जिक्र किया तो महिला के आंखों में आंसू आ गए। महिला यहूदी थी, वह मोहम्मद साहब के इस मधुर व्यवहार को देखकर रो पड़ी और पैरों पर सिर रख दिया और ईमान ले आई।

भाइयो आप सब उम्मत के फर्द हैं जिसके किरदार का हुस्न-ए-एखलाक (मधुर व्यवहार) देखकर पत्थर दिल पिघल गया। इसलिए आप सब सुन्नते रसूल को याद करके कभी भी आग को आग से बुझाने की कोशिश न करें। आग बुझाने के लिए पानी की जरूरत होती है। अक्ल और होश का दामन मत छोड़ना, वरना शैतान का फितना (नकारात्मक मंसूबा) काम कर जाएगा। अगर किसी बच्चे या बड़े से नासमझी हो जाए तो सब्र और धीरज से काम लेकर होली के शुभ अवसर पर जिले में अमन कायम रखेंगे। आपका बहुत-बहुत धन्यवाद होगा। आपका शुभचिंतक अनंत देव।

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