मेरठ को अभी कोरोना कर्फ्यू से नही मिली राहत, ब्लैक फंगस के भी मिले आठ केस

संक्षेप:

  • मेरठ को अभी नही मिली कोरोना कर्फ्यू से राहत
  • लापाता कोरोना मरीजों के वजह से कर्फ्यू से राहत नही
  • मेरठ में ब्लैक फंगस के भी मिले आठ नए मामलें

मेरठ- अपना जिला भी सोमवार से अनलॉक हो सकता था लेकिन ‘लापता’ मरीजों ने इसका गणित बिगाड़ रखा है। दरअसल, रविवार तक होम आइसोलेशन में 417 और अस्पतालों में भर्ती मरीज 190 थे। इस तरह कुल सक्रिय मामले 607 हुए। अब हर रोज 50 से कम मरीज मिल रहे हैं और 150 से ज्यादा की छुट्टी हो रही है। इस लिहाज से सोमवार तक सक्रिय केस सिर्फ सात अधिक होते और जिले में दुकानें खुलने की शुरुआत हो जाती। कारोबारी तो बाजार खोलने की मांग कर ही रहे हैं, खास मौकों के लिए बड़ी खरीदारी के लिए उपभोक्ताओं को भी इसका इंतजार है।

दूसरी तरफ जिले में ‘लापता’ मरीजों के कारण सक्रिय केस 977 हो रहे हैं। यानी 370 मरीज ऐसे हैं, जो स्वास्थ्य विभाग की सक्रिय केसों की सूची में तो शामिल हैं पर न अस्पताल में भर्ती हैं और न ही होम आइसोलेशन में हैं। इसकी बड़ी वजह कोरोना मरीजों की सही से निगरानी न होना माना जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग को यह तो पता है कि इन्हें कोरोना हुआ, मगर उसके बाद ये अस्पताल में भर्ती हुए या होम आइसोलेशन में रहे, यह ब्योरा नहीं है।

वहीं कुछ लोग पहचान छिपाकर कोरोना की जांच कराने वाले हैं, जो स्वास्थ्य विभाग की मुसीबत बने हुए हैं। रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद स्वास्थ्य विभाग उनका पता नहीं लगा पा रहा है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार, भर्ती और आइसोलेट मरीजों की कुल संख्या सक्रिय मरीजों से बहुत कम है। फिर भी ‘लापता’ मरीजों के बारे में विभाग को कोई जानकारी नहीं मिल पा रही है।

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मेरठ में ब्लैक फंगस के रविवार को आठ नए मरीज मिले, जबकि मेडिकल कॉलेज में दो व्यक्तियों की मौत हो गई। अब तक 256 मरीज मिल चुके हैं। 10 और मरीजों के साथ 110 की छुट्टी हो चुकी है। 125 एक्टिव केस हैं। 21 की मौत हो चुकी हैं। इस बीच कोरोना के 47 नए मरीज मिले हैं और इनमें से चार की मौत हो गई।

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