PLASMA: मेरठ में प्लाज़्मा संकट गहराया, जानिए क्यों नहीं कर रहे ठीक हुए मरीज़ प्लाज़्मा डोनेट
- खत्म नहीं हो रहा प्लाज्मा संकट
- मदद करने से कतरा रहे ठीक हुए मरीज
- जानिए क्यों नहीं कर रहे लोग प्लाज़्मा डोनेट
मेरठ। पहले मरीज़ कोरोना संक्रमण से परेशान है तो फिर संक्रमित के लिए प्लाज़्मा ढ़ूंढ़ने को लेकर. मेरठ में कोरोना पीड़ितों के इलाज में प्लाज्मा का संकट लगातार गहराता जा रहा है। तीमारदार सोशल मीडिया से लेकर अस्पतालों में प्लाज्मा के लिए मदद मांग रहे हैं, मगर मदद नहीं मिल रही। प्लाज्मा की सबसे ज्यादा परेशानी हो रही है।
प्लाज़मा डोनेट न करने की वजह
बड़ा कारण ठीक हुए मरीजों में प्लाज्मा दान करने के प्रति उदासीनता है। दोबारा संक्रमण न हो जाए या परिवार में किसी को अचानक प्लाज्मा की जरूरत न पड़ जाए, इस डर से डोनर आगे नहीं आ रहे हैं। इस सोच के चलते ठीक हुए मरीज प्लाज्मा देने से बच रहे हैँ। वहीं अस्पतालों के पास भी प्लाज्मा नहीं हैं।
प्लाज़्मा डोनर की कमी से बढ़ रहीं परेशानियां
किसी मरीज को प्लाज्मा की जरूरत पड़ती है तो उसके तीमारदार डोनर और ठीक हुए मरीजों की लंबी लिस्ट खंगालते हैं। डोनर नहीं मिलता। जो मिलता है, वह शहर का नहीं होता। वो दूसरे शहर में जाने को राजी नहीं होता। किसी की उम्र कम होती है तो कोई अन्य बीमारियों से ग्रसित मिलता है। सही समय पर सही समूह का प्लाज्मा दस में से दो या तीन मरीजों को ही मिल पा रहा है।
क्या है प्लाज्मा
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हमारे खून में लाल रक्तकणिकाएं, श्वेत रक्तकणिकाएं और पीला तरल भाग मौजूद होता है। यही पीला तरल भाग प्लाज्मा कहलाता है। इसका 92 फीसदी हिस्सा पानी होता है। पानी के अलावा प्लाज्मा में प्रोटीन, ग्लूकोस मिनरल, हार्मोंस, कार्बन डाइऑक्साइड मौजूद होते हैं। हमारे रक्त में तकरीबन 55 प्रतिशत प्लाज्मा मौजूद होता है।
क्या है प्लाज्मा थेरेपी
प्लाज्मा थेरेपी को कायलसेंट प्लाज्मा थेरेपी कहा जाता है। इसमें कोरोना से ठीक हो चुके व्यक्ति के शरीर से प्लाज्मा निकालकर संक्रमित व्यक्ति की बॉडी में इंजेक्शन की मदद से इंजेक्ट किया जाता है। कोविड से ठीक हो चुके व्यक्ति के प्लाज्मा में एंटीबॉडीज बन जाते हैं जो दूसरे संक्रमित व्यक्ति के लिए भी मददगार हो सकते हैं।
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