आज रंगों के त्योहार पर एक ही दिन में महानगर में करीब 134 करोड़ लीटर पानी बर्बाद हो जाएगा।
अगर सभी लोग पानी में घुले रंग की बजाय गुलाल और फूलों से होली खेलें, तो पानी की इतनी बड़ी बर्बादी होने से बच जाए।
मगर पानी बचाने के लिए दी जाने वाली दलीलें मानने को कोई तैयार नहीं है। .ad-600 {width: 600px;text-align: center;} .ad-600 .vigyapan{background:none} विज्ञापन if(typeof is_mobile !='undefined' && !is_mobile()){ googletag.cmd.push(function() { googletag.display('div-gpt-ad-1544182959779-0'); });} विज्ञापन महानगर में प्रतिदिन एक से डेढ़ अरब लीटर पानी की खपत है, जो ट्यूबवेल, सबमर्सिबल, हैंडपंपों के माध्यम से भूगर्भ और भोला झाल गंगनहर से लिया जा रहा है।
गंगाजल और भूगर्भ जल से ही शहर की जनता प्रतिदिन प्यास बुझाती है और अपने दैनिक कार्यों को पूरा करती है।
होली के त्योहार पर पानी की खूब बर्बादी होती है।
महानगर में ही लाखों रुपये रंग और गुलाल पर खर्च किए जाते हैं।
इस रंग को पानी में मिलाकर एक-दूसरे पर डाला जाता है।
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