किसान आंदोलन: राकेश टिकैत ने सुप्रीम कोर्ट की पहल को सराहा- बोले, सरकार को वापस लेने होंगे तीनों कानून

संक्षेप:

रामपुर: भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने किसानों के आंदोलन पर सुप्रीम कोर्ट के रुख को सराहा है। उन्होंने कहा कि सरकार को तीनों कृषि कानून वापस लेने होंगे। किसान मायूस न हों, आंदोलन में जिन किसानों ने अपने प्राणों का बलिदान दिया है वो व्यर्थ नहीं जाएगा। 

रामपुर: भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने किसानों के आंदोलन पर सुप्रीम कोर्ट के रुख को सराहा है। उन्होंने कहा कि सरकार को तीनों कृषि कानून वापस लेने होंगे। किसान मायूस न हों, आंदोलन में जिन किसानों ने अपने प्राणों का बलिदान दिया है वो व्यर्थ नहीं जाएगा। 

टिकैत सोमवार को रामपुर पहुंचे और स्थानीय किसानों के साथ-साथ मीडिया से भी बातचीत की। कृषि कानूनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर आभार व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने किसानों से बातचीत कर समस्या के हल के निर्देश दिए हैं।  सुप्रीम कोर्ट द्वारा मामले का संज्ञान लिया जाना उचित है, इसके लिए सुप्रीम कोर्ट का आभार व्यक्त करते हैं। सरकार ही कानून वापस लेगी। कोर्ट के रुख पर और विधिक राय हमारी लीगल सेल देगी। इस दौरान वह बिलासपुर क्षेत्र के पसियापुरा गांव पहुंचे। जहां पर उन्होंने दिल्ली सीमा पर आंदोलन के दौरान आत्महत्या करने वाले किसान कश्मीर सिंह के भोग और अंतिम अरदास में भाग लिया। बाबा कश्मीर सिंह की अंतिम अरदास के लिए अन्य कई किसान नेता और आसपास क्षेत्र के तमाम किसान पसियापुरा पहुंचे थे।

सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप से सकारात्मक हल की उम्मीद : बीएम सिंह

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भारतीय किसान मजदूर संगठन के संयोजक बीएम सिंह ने कहा है कि किसान आंदोलन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने जो बात कही है उससे इस समस्या के सकारात्मक समाधान की उम्मीद जगी है। बीएम सिंह दिल्ली की सीमा पर किसान आंदोलन के दौरान आत्महत्या करने वाले कश्मीर सिंह की अंतिम अरदास में शिरकत करने सोमवार को यहां पहुंचे थे। मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपना जो रुख दिखाया, वह ठीक है और होना भी चाहिए था। उन्होंने कृषि कानूनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा कमेटी बनाए जाने की बात को सही बताया। 

उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की अब तक की प्रक्रिया से सकारात्मक उम्मीद जगी है। उन्होंने कहा कि सरकार को कृषि कानूनों को वापस लेना होगा। कृषि कानून किसानों के लिए उचित नहीं है और सरकार को इन्हें वापस लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि कृषि कानूनों के वापस न होने तक आंदोलन जारी रहेगा।

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