दो कबूतरों की मौत से लोगों को बर्ड फ्लू की आशंका, जांच के लिए भेजा गया सैंपल

संक्षेप:

जिले में बढ़ रहा है बर्ड फ्लू का खतरा

दो कबूतरों की मौत से लोगों में हड़कंप

पशु चिकित्सकों ने एक कबूतर का सैंपल जांच के लिए भेजा

in muzaffarnagr, muzaffarnagr news, bird flu in up,

 

मुजफ्फरनगर: जिले के जानसठ कस्बे में दो कबूतर मृत मिलने से लोगों में अफरातफरी का माहौल है.. लोगों को आशंका है कि दोनों कबूतरों की मौत बर्ड फ्लू के कारण हुई है... हालांकि पशु चिकित्सकों ने एक कबूतर के सैंपल लेकर उन्हें जांच के लिए भेज दिया है...

ये भी पढ़े : सारे विश्व में शुद्धता के संस्कार, सकारात्मक सोच और धर्म के रास्ते पर चलने की आवश्यकता: भैय्याजी जोशी


 

दरअसल, इलाके में जैसे ही लोगों ने कबूतरों को मरा हुआ पाकर तुरंत इस बात की जानकारी पशु विभाग की टीम को दी.. जब तक पशु विभाग की टीम मौके पर पहुंचती एक कबूतर को आवारा जानवर खा गए, जबकि एक को टीम ले गई... कस्बे में बर्ड फ्लू की आशंका के चलते लोगों में डर का माहौल बन गया...

 

लोगों का कहना है कि कबूतर अचानक से ऊपर से लहराते हुए नीचे गिर गए और मर गए... हालांकि अभी तक कस्बे और आसपास देहात में एक भी घटना ऐसी नहीं मिली थी.. बुधवार रात अचानक से मृत कबूतरों के मिलने से बर्ड फ्लू की आशंका हो चली है... पशु चिकित्साधिकारी डा. डीपी सिंह ने बताया कि जो कबूतर मृत मिला था उसका पीएम कराया गया है.. उसके अंदर स्टोन मिलने से उसकी मौत का कारण बर्ड फ्लू नहीं है... एक-दो कबूतरों के मरने स बर्ड फ्लू की आशंका नहीं होती है। जबतक क्षेत्र में दस से बीस पक्षी मरे हुए न मिले तब तक इसे बर्ड फ्लू नहीं कहा जा सकता है।

 

आपको बता दें कि कोरोना महामारी के बाद बर्ड फ्लू देश के 10 राज्यों में फैल चुका है... अब तक केरल, राजस्थान, मध्यप्रदेश, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, गुजरात, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, उत्तराखंड और महाराष्ट्र में इस वायरस के संक्रमण की पुष्टि हो चुकी है.. इस बीच योगी सरकार ने पड़ोसी राज्यों में आ चुके बर्ड फ्लू के खतरे को देखते हुए उत्तर प्रदेश को `नियंत्रित क्षेत्र` घोषित कर दिया है... साथ ही राज्य सरकार ने जीवित पक्षियों के आयात पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है....

If You Like This Story, Support NYOOOZ

NYOOOZ SUPPORTER

NYOOOZ FRIEND

Your support to NYOOOZ will help us to continue create and publish news for and from smaller cities, which also need equal voice as much as citizens living in bigger cities have through mainstream media organizations.

Related Articles