उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को दिए विद्युत शवदाह गृह बनाने के आदेश

नैनीताल, 25 अगस्त (भाषा) उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को राज्य सरकार को राज्य के सभी नगरपालिका क्षेत्रों में छह माह के भीतर विद्युत शवदाह गृह स्थापित करने तथा इस संबंध में हर माह अपनी रिपोर्ट अदालत में जमा करने के निर्देश दिए ।

उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने कोविड से संबंधित विभिन्न समस्याओं के बारे में दायर 20 जनहित याचिकाओं का निपटारा करते हुए ये आदेश जारी किए ।

इससे पहले, हरिद्वार के ज्वालापुर क्षेत्र के रहने वाले ईश्वर चंद्र वर्मा ने एक जनहित याचिका दायर कर कहा था कि कोरोना महामारी के मद्देनजर हरिद्वार में दाह संस्कार के लिए पर्याप्त सुविधाएं नहीं हैं ।

याचिका में कहा गया कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 25 साल पहले हरिद्वार के खड़खड़ी में एक विद्युत शवदाह गृह स्थापित किया गया था लेकिन राज्य सरकार द्वारा इसे अभी तक क्रियाशील नहीं किया गया है ।

दाह संस्कार सेवा समिति में कार्यरत दुर्गेश पंजवानी ने भी अपनी जनहित याचिका में कहा कि लकडी से दाह संस्कार करने में ढाई से तीन हजार रूपये की लागत आती है और कभी-कभी लोग लकडी अनुपलब्ध होने पर शवों को नदियों में प्रवाहित कर देते हैं जो पर्यावरण के लिए बहुत घातक है ।

उन्होंने कहा कि अगर विद्युत शवदाह गृह का प्रयोग किया जाता है तो यही प्रक्रिया केवल 500 रूपये में संपन्न हो जाती है ।

न्यायालय ने राज्य सरकार को छह माह के भीतर विद्युत शवदाह गृहों को स्थापित करने तथा उसकी प्रगति रिपोर्ट अदालत में पेश करने के आदेश दिए ।

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