Science Research: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से नए ग्रह या नक्षत्र खोलेंगे ब्रह्मांड के कई राज, जानिए धरती से कितनी है दूरी 

संक्षेप:

  • 15 नए आकाशीय पिंड (ग्रह या नक्षत्र) खोज निकाले हैं।
  • बीते डेढ़ साल में इन आकाशीय पिंडों का पता लगाया।
  • ब्रह्मांड का अंतिम छोर ढूंढने में मददगार होगा शोध।

नैनीताल। आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान एवं शोध संस्थान (एरीज) ने कुछ ऐसा खोज निकाला जिसके बाद संपूर्ण देश को भारत पर गर्व करेंगी। अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने करीब एक अरब प्रकाश वर्ष से अधिक दूरी पर 15 नए आकाशीय पिंड (ग्रह या नक्षत्र) खोज निकाले हैं। वैज्ञानिकों ने इसके लिए पहली बार आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का प्रयोग किया। वैज्ञानिकों ने ग्रेविटेशनल लेंसिंग तकनीक का प्रयोग कर बीते डेढ़ साल में इन आकाशीय पिंडों का पता लगाया है। इन पिंडों की खोज में एरीज नैनीताल की शोधार्थी प्रियंका जालान ने बेल्जियम के प्रसिद्ध खगोल वैज्ञानिक जीन सुरर्देज के साथ मिलकर डेटा एनालिसिस पर काम किया है। एरीज नैनीताल के साथ बेल्जियम की लिज यूनिवर्सिटी व अमेरिका के खगोल वैज्ञानिकों ने यह क्रांतिकारी खोज दुनिया के सामने रखी। भारत की सबसे बड़ी अंतरिक्ष दूरबीन देवस्थल के प्रभारी वैज्ञानिक डॉ. बृजेश कुमार ने बताया कि देवस्थल साइट की उत्कृष्ट स्थितियों और फ्रंटलाइन बैक-ऐज उपलब्ध होने से इन पिंडों का यहां बेहतरीन अध्ययन किया जा सकता है। इस दूरबीन के जरिए क्वेजार पिंडों का अध्ययन भी शुरू कर दिया गया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि आने वाले वर्षों में इन पिंडों के बारे में वैज्ञानिकों के पास दुनिया को बताने के लिए तमाम नई जानकारियां होंगी। 

भारत की सबसे बड़ी रेडियो दूरबीन से प्राप्त आंकड़ों से पिंडों का अध्ययन आसानी से हो सकेगा

एरीज में आजादी का अमृत महोत्सव के अतंर्गत एस्ट्रोफिजिकल जेट्स एवं प्रेक्षण सुविधा पर कार्यशाला का गुरुवार को चौथा दिन रहा। सत्र की शुरुआत एरीज के वैज्ञानिक डॉ.शशि भूषण पांडे के संचालन में नेशनल सेंटर फॉर रेडियो एस्ट्रोफिजिक्स (एनसीआरए) के प्रो.जयराम ने की। बताया कि भारत की सबसे बड़ी रेडियो दूरबीन से प्राप्त आंकड़ों के जरिए नए खगोलीय पिंडों का अध्ययन आसानी से हो सकता है। कार्यशाला में वैज्ञानिकों ने खगोलीय दूरबीनों की नई तकनीक के साथ ही इससे मिल रहे परिणामों पर चर्चा की। कार्यशाला में देश के सभी प्रमुख खगोल वैज्ञानिकों ने हिस्सा लिया। 

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ब्रह्मांड का अंतिम छोर ढूंढने में मददगार होगा शोध

शोधार्थी प्रियंका जालान ने बताया कि उन्हें गर्व है कि वह दुनिया की कुछ सबसे बड़ी खोजों का हिस्सा बनी हैं। उन्होंने बताया, दुनियाभर के वैज्ञानिक इन 15 पिंडों का गहराई से अध्ययन शुरू करने जा रहे हैं। इससे ब्रह्मांड के कई रहस्यों से पर्दा उठेगा। जालान ने कहा, पुरानी तकनीक से बीते 40 वर्षों में कुछ ही क्वेजार खोजे जा सके पर आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का प्रयोग कर बीते डेढ़ वर्ष में 15 नए पिंड खोजे जा चुकें हैं। पब्लिक आउटरीच कार्यक्रम के डॉ.बीरेंद्र यादव का कहना है कि अंतरिक्ष विज्ञान की खोज में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की मदद से नए आयाम जुड़ेंगे।

 

 

 


 

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