इस गांव में किसानों के खेत में फसल नहीं 'कार' खड़ी हो रही है, जानिए इसके पीछे की कहानी

संक्षेप:

  • भारत में किसानों के समृधी की बाते और दावे किए जाते हैं.
  •  कहा जाता है की किसान खुशहाल हैं तभी डेढ़ भी खुशाली की ओर आगे बढेगा लेकिन जिला शिमला की जलेल पंचायत में किसानों की खुशहाली वाले तमाम दावों की पोल यहाँ की स्थिति को खो. जलेल पंचायत के अधिकतर किसानों ने खेती छोड़ दी है
  • जलेल पंचायत के अधिकतर किसानों ने खेती छोड़ दी है और अपने खेत को एक कार कम्पनी को किराय पर दे दी हैं 

भारत में किसानों के समृधी की बाते और दावे किए जाते हैं. कहा जाता है की किसान खुशहाल हैं तभी डेढ़ भी खुशाली की ओर आगे बढेगा लेकिन जिला शिमला की जलेल पंचायत में किसानों की खुशहाली वाले तमाम दावों की पोल यहाँ की स्थिति को खो. जलेल पंचायत के अधिकतर किसानों ने खेती छोड़ दी है और अपने खेत को एक कार कम्पनी को किराय पर दे दी हैं. किसानों का कहना है की साल भर की मेहनत के बाद जंगली जानवर उनकी फसल को पूरी तरफ से तबाह कर देते हैं जिससे उनको सिर्फ और सिर्फ नुकसान उठाना पड़ता है लेकिन अब उनके खेतों में कार कम्पनी के हज़ारों नए वाहनों की पार्किंग उन्हें थोड़ा सहारा दे रही हैं.

शिमला- चंडीगढ़ नेशनल हाइवे पर सती जेलेल पंचायत में दाखिल होने पर यहां के किसानों की असल स्थति को समझ में आती है. जलेल पंचायत के इस जलेल गाँव में कभी हरी भरी फसल लहलाती थी लेकिन अब यहाँ कुछ ही खेतों में थोड़ी थोड़ी फसल ही नजर आ रही है.शिमला शहर से मात्र 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित जलेल पंचायत में अब लगभग हर किसान परिवार खेती-बाड़ी को छोड़ चुके हैं. इसकी वजह इलाके में जंगली जानवरों का वो डर है जो पिछले कुछ सालों में ही किसानों की आजीविका पर जमकर बरपा है.. कभी यहाँ अधिक फसल की पैदावार हुआ करती थी और उस समय ये इलाका अपने आप में मिसाल कायम किया करता था.

लेकिन आज यहाँ बंदरों , जंगली सूअरों , नील गाए और लंगूरों जेसे जंगली जानवरों का ऐसा आतंक मच चुका है जिससे यहाँ के किसानों ने खेती बाडी को छोड़ने का फैसला किया..अब यहाँ के खेतों में फसलों की बजाए हज़ारों वाहन खड़े हैं जो एक कार कम्पनी ने इन किसानों से सस्ती दरों पर मासिक किराए के रूप में लिए हैं.

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