CM योगी के गांव में पानी की भारी किल्लत, रात 12 बजे ही लोग लगा लेते हैं लाइन

संक्षेप:

  • उत्तराखंड एक बार फिर गहरे जल संकट में है. राज्य के करीब 30 हज़ार पानी के प्राकृतिक स्रोतों में पानी 80 फीसदी तक कम हो गया है
  • इससे पानी की समस्या गहरा गई है
  • सैकड़ों स्रोतों में तो पानी पूरी तरह सूख चुका है 

उत्तराखंड एक बार फिर गहरे जल संकट में है. राज्य के करीब 30 हज़ार पानी के प्राकृतिक स्रोतों में पानी 80 फीसदी तक कम हो गया है. इससे पानी की समस्या गहरा गई है. सैकड़ों स्रोतों में तो पानी पूरी तरह सूख चुका है. हालत यह है कि लोग पानी के लिए रात 12:00 बजे भी लाइनों में लग जाते हैं, उत्तराखंड के पौड़ी जिले में पानी का संकट स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गांव पंचूर के हालात को ज़ी मीडिया की टीम ने करीब से जानने की कोशिश की और देखा कि पानी का संकट VVIP गांव में किस हद तक गहरा गया है.


उत्तराखंड के पौड़ी जिले के यमकेश्वर ब्लॉक के पंचूर गांव में पानी के एकमात्र स्रोत है, जिससे पानी भरने के लिए गांव वाले तड़के ही लाइन में लग जाते हैं. पानी का आलम यह है कि 10 लीटर के एक बर्तन को भरने के लिए 15 से 20 मिनट का समय लग जाता है. गर्मियों में पानी की मांग बढ़ जाती है, इसलिए गांव वाले इस मांग को पूरा करने के लिए कई बार तो रात को ही पानी लेने के लिए इस स्रोत पर पहुंच जाते हैं. पंचूर गांव देश की राजनीति में भी अच्छा खासा दखल रखता है. वास्तव में यह गांव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गांव है. सीएम योगी के परिवार के सदस्य इसी प्राकृतिक स्रोत के जरिए अपने घर में पानी की सप्लाई करते हैं.


सीएम योगी आदित्यनाथ के भाई महेंद्र बिष्ट आज भी पंचूर गांव में ही रहते हैं. कई बार जल संस्थान के स्थानीय अधिकारियों से लेकर मुख्यमंत्री तक पानी की समस्या को लेकर अपील की, लेकिन हालत जस की तस है. इतना जरूर है कि जल संस्थान गांव में पानी की आपूर्ति के लिए टैंकर्स को भेजता है. लेकिन कई बार टैंकर से सप्लाई होने वाले पानी की आपूर्ति मांग से काफी कम होती है. इस कारण कई लोग निराश भी हो जाते हैं.

उत्तराखंड में अप्रैल से लेकर जून तक यही हालत हर गांव में दिखाई देती है. पानी की मांग लगातार बढ़ रही है. लेकिन पानी के प्राकृतिक स्रोत लगातार सूखते जा रहे हैं. कई लोग अपने गांव में छुट्टी बिताने के लिए शहरों से भी आते हैं लेकिन उनका भी सारा समय सिर्फ पानी लाने ले जाने में ही बीत जाता है. ऐसे में कुछ समय के लिए आबाद हुए गांवों से लोगों का मोह भंग होता जाता है.

ये भी पढ़े : राम दरबार: 350 मुस्लिमों की आंखों में गरिमयी आंसू और जुबां पर श्री राम का नाम


If You Like This Story, Support NYOOOZ

NYOOOZ SUPPORTER

NYOOOZ FRIEND

Your support to NYOOOZ will help us to continue create and publish news for and from smaller cities, which also need equal voice as much as citizens living in bigger cities have through mainstream media organizations.

Read more Nainitalकी अन्य ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें और अन्य राज्यों या अपने शहरों की सभी ख़बरें हिन्दी में पढ़ने के लिए NYOOOZ Hindi को सब्सक्राइब करें।

Related Articles