RTI संशोधन बिल पर सरकार को बड़ी राहत, एनडीए को कई पार्टियों का समर्थन मिला

संक्षेप:

  • आरटीआई संशोधन बिल पर सरकार को बड़ी राहत मिली है.
  • इस मसले पर टीआरएस, बीजेडी और पीडीपी सरकार के साथ है
  • इससे राज्‍यसभा की सेलेक्ट कमेटी को बिल भेजने की विपक्ष की साझा मुहिम को झटका लगा है.

आरटीआई संशोधन बिल पर सरकार को बड़ी राहत मिली है. इस मसले पर टीआरएस, बीजेडी और पीडीपी सरकार के साथ है. इससे राज्‍यसभा की सेलेक्ट कमेटी को बिल भेजने की विपक्ष की साझा मुहिम को झटका लगा है.

इसमें जो संशोधन किए गए हैं, इसके मुताबिक:
1) कितनी सैलरी मिलेगी, इसके लिए बिल पास होने के बाद नियम बनेगा जिसमें सैलरी का ज़िक्र होगा. यानी बिल के पास होने के बाद सरकार को इस पर नियम बनाने का अधिकार होगा. RTI के पहले वाले कानून में मुख्य सूचना आयुक्त (CIC) की सैलरी मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) के बराबर थी. अब इस बिल के पास होने के बाद केंद्र सरकार को CIC के वेतन और भत्ते तय करने का अधिकार मिल जाएगा.

2) इसके साथ ही CIC का कार्यकाल अब 5 साल के बजाय कितना होगा, इसके लिए भी रूल बनेगा.उल्‍लेखनीय है कि मुख्य सूचना आयुक्त (सीआईसी) और सूचना आयुक्तों के कार्यकाल व वेतन निर्धारित करने की शक्ति केंद्र सरकार को देने संबंधी एक विधेयक सोमवार को विपक्ष की कड़ी आपत्ति के बीच लोकसभा में पारित कर दिया गया. सूचना का अधिकार (संशोधन) विधेयक, 2019 को मत विभाजन के बाद 178 सदस्यों की सहमति के साथ पारित किया गया. कुल 79 सदस्य इसके खिलाफ रहे.

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विधेयक सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम, 2005 की धारा 13 और 16 में संशोधन के लिए लाया गया है. धारा-13 में सीआईसी और सूचना आयुक्तों का कार्यकाल पांच वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक (जो भी पहले हो) निर्धारित किया गया है. विपक्ष ने तर्क दिया कि विधेयक आरटीआई की स्वतंत्रता छीन लेगा.

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