Independence day Special: अब इन समस्याओं से भी चाहिए आजादी

संक्षेप:

  • 15 अगस्त 2018 को भारत का 72वां स्वतंत्रता दिवस
  • भारत आज विश्व शक्ति बनने के सपने देख रहा है
  • विकास की दौड़ मे पर्यावरण को पहुंचा रहा नुकसान

15 अगस्त 2018 को भारत का 72वाँ स्वतंत्रता दिवस होगा। 1947 से लेकर आज तक लगभग सात दशक बीत चुके हैं। इन सालों में भारत ने अनेक उपलब्धियां हासिल की हैं। एक समय जो देश सोने की चिड़िया कहलाता था, उस पर मुगलों से लेकर अंग्रेंजों तक ने बहुत जुल्म ढहाये जिससे देश का आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक-सांस्कृतिक ताना बाना बिल्कुल ढहने की कगार पर पंहुच गया। भारत आज विश्व शक्ति बनने के सपने देख पा रहा है। लेकिन इन सबके बीच बहुत कुछ है जो हम खो रहे हैं, विकास की अंधी दौड़ में हम नई-नई समस्याएं पैदा कर रहे हैं। सबसे ज्यादा पर्यावरण की समस्या को, जिनको दूर करने के लिए आज भी सरकार के पास कोई कारगर योजना नहीं है।

वायु प्रदूषण से आजादी

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एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 16 लाख लोग हर साल वायु प्रदूषण की वजह से मारे जाते हैं। वायु प्रदूषण आज भारतीयों के लिये स्वास्थ्य संकट बन चुका है। इसे खत्म करने के लिये देश में तत्काल एक राष्ट्रीय पहल की जरुरत है। पूरे देश में राष्ट्रीय मुहिम छेड़ कर और राष्ट्रीय कार्ययोजना बनाकर इस संकट से निपटने की जरुरत है। हमारे बच्चों के भविष्य को बचाना है तो हमें इस समस्या से निपटना ही होगा। वायु प्रदूषण से देश को आजाद करना होना।

नुकसानदायक ऊर्जा स्रोत से आजादी 

अभी भारत में लगभग 70 प्रतिशत ऊर्जा कोयले से पैदा की जाती है लेकिन अब वक्त आ गया है कि हमें दूसरे स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों की तरफ ध्यान देना चाहिए। आज सोलर की कीमत भारत में 80 प्रतिशत तक कम गया है, जबकि सरकार 30 प्रतिशत की सब्सिडी दे रही है। अपने छतों पर हम सोलर लगाकर कार्बन उत्सर्जन को कम कर सकते हैं और हवा को भी प्रदूषित होने से बचा सकते हैं। सोलर ऊर्जा से हम 40 प्रतिशत तक अपनी बिजली बिल को कम कर सकते हैं।

रासायनिक खेती से आजादी

 

देश की पूरी खेती रसायनिक कंपनियों की चपेट में है। सरकार रासायनिक कंपनियों को हजारों करोड़ की सब्सिडी दे रही है। रसायनों के प्रयोग से न सिर्फ हमारी मिट्टी प्रदूषित और बर्बाद हो रही है बल्कि इसका बुरा प्रभाव लोगों के स्वास्थ्य पर भी पड़ रहा है। हमारा भोजन सुरक्षित नहीं रह गया है। किसानों की आर्थिक स्थिति लगातार बदतर होती जा रही है। इन समस्याओं से निपटने के लिये हमें रसायनिक खेती से आजादी लेनी ही होगी और जैविक खेती को अपनाना होगा।

ट्रैफिक की समस्या से आजादी 

हमारे देश में ऑटोमोबईल सेक्टर लगातार बढ़ता ही जा रहा है। एक नजरीये से देखा जाये तो यह देश की बढ़ती अर्थव्यवस्था का संकेत हो सकता है लेकिन दूसरी तरफ कारों के अत्यधिक इस्तेमाल ने शहरों की हवा को खराब कर दिया है, वहीं ट्रैफिक सिस्टम भी बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है। कारों के इस्तेमाल की एक बड़ी वजह सार्वजनिक परिवहन सिस्टम का अच्छा न होना भी है। अगर शहरों में सार्वजनिक परिवहन को ठीक किया जाये और उसे ज्यादा तेज, सुविधाजनक और सुरक्षित बनाया जाये तो इस समस्या से निपटा जा सकता है।

कचरे से आजादी

हर दिन हम बहुत बड़ी मात्रा में कचरा पैदा करते हैं और उसे अपने पड़ोस में फेंक देते हैं धीरे-धीरे ये कचरा हमारी मिट्टी और सागर को गंदा करते हैं। अगर हम चाहें तो कचरे का उचित प्रबंधन करके इससे खाद और बिजली बना सकते हैं। देश के हर नागरिक को यह जिम्मेदारी लेनी होगी, सरकार व नगर निगमों को ऐसी व्यवस्था करनी होगी जिससे जैविक पदार्थों को अलग करके रखा जा सके और उसका इस्तेमाल खाद के रूप में मिट्टी को स्वस्थ्य बनाने के लिये किया जा सके। इससे न सिर्फ हमारी मिट्टी अच्छी होगी, बल्कि देश के किसानों की स्थिति में भी सुधार होगा और शहर की सड़कें कचरामुक्त बन पायेंगे।

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