15 जुलाई तक पूरी होगी सुपरटेक ट्विन टावर के भ्रष्टाचार मामले की जांच

संक्षेप:

  • 15 जुलाई तक पूरी होगी ट्विन टावर के भ्रष्टाचार मामले की जांच ।
  • सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अलग से जांच कराने का भी आदेश दिया था।
  • करीब एक दर्जन अधिकारियों पर हो सकती है कार्रवाई।

नोएडा- ट्विन टावर के भ्रष्टाचार मामले में प्राधिकरण की ओर से कराई जा रही जांच 15 जुलाई तक पूरी हो जाएगी। जिसके बाद शासन को यह रिपोर्ट भेजी जाएगी। रिपोर्ट के आधार पर करीब एक दर्जन अधिकारियों पर कार्रवाई हो सकती है।

सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक मामले में बिल्डर और प्राधिकरण के बीच कनेक्शन की बात कही थी। साथ ही, मामले की अलग से जांच कराने का भी आदेश दिया था। इसके बाद यूपी सरकार की ओर से एसआईटी का गठन करते हुए प्राधिकरण के 24 अधिकारियों-कर्मचारियों के अलावा बिल्डर प्रबंधन के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई थी। यह भी कहा गया था कि एसआईटी के अलावा नोएडा प्राधिकरण अपने स्तर पर भी इसकी जांच कराए। इसी कड़ी में प्राधिकरण की ओर से करीब एक दर्जन अधिकारियों-कर्मचारियों की जांच कराई जा रही है। इन अधिकारियों-कर्मचारियों को नोटिस दिया गया था। इसके अलावा आरोप पत्र भी दिया गया था। इनसे कई बार में पत्राचार के माध्यम से बातचीत की गई थी। आरोपियों की ओर से प्राधिकरण से आरोप के साक्ष्य भी मांगे गए थे। प्राधिकरण ने इन्हें मौका दिया था कि वह आमने-सामने अपनी बातें कह सकें। हालांकि, इनमें से कोई भी सामने नहीं आया, लेकिन उनकी ओर से अपनी बात कहने का प्रयास किया गया।


छह महीने से चल रही जांच, 11 अधिकारी जांच के दायरे में
एसआईटी जांच के अलावा प्राधिकरण के स्तर पर करीब छह माह से जांच चल रही है। इसमें आईएएस अधिकारियों की जांच का जिम्मा शासन स्तर पर नियुक्त अधिकारी के हाथों में हैं। वहीं, प्राधिकरण की ओर से उन अधिकारियों की जांच की जा रही है, जिनकी नियमों के तहत प्राधिकरण स्तर पर जांच की जा सकती है। बताया जा रहा है कि 11 अधिकारियों की जांच प्राधिकरण स्तर पर की जा रही है। इसमें नियोजन विभाग के निवर्तमान सीएपी वीए देवपुजारी, वरिष्ठ नगर नियोजक राजपाल कौशिक, नगर नियोजक अशोक कुमार मिश्र, परियोजना अभियंता बाबू राम, एजीएम शैलेंद्र कैरे, वित्त नियंत्रक एसी सिंह के अलावा मुकेश गोयल, विमला सिंह, अनीता व ऋतुराज शामिल हैं। इनमें से चार अधिकारियों को निलंबित किया जा चुका है और बाकी को आरोप पत्र दिए गए हैं।
आरोप पत्र का किसी ने नहीं दिया जवाब
प्राधिकरण के अधिकारियों का कहना है कि आरोप पत्र का किसी ने भी जवाब नहीं दिया। हालांकि, अपने बचाव के लिए जरूर साक्ष्य आदि मांगे। इसके बाद भी उन्होंने अपने ऊपर लगे आरोप को लेकर कुछ भी नहीं कहा, जबकि फरवरी में आरोप पत्र जारी हुए थे। अब जांच अधिकारी ने जांच पूरी कर रिपोर्ट 15 जुलाई तक शासन को भेजने की योजना बनाई है।

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