सीएम योगी से 50 हजार फ्लैट देने का वादा करने वाले बिल्डरों की खुलने लगी पोल

संक्षेप:

  • तीन महीने में 50 हजार फ्लैट देने का वादा
  • नोएडा के बिल्डरों की सच्चाई अब सामने आने लगी है
  • बिल्डर अपने वादों से पीछे हटते दिखाई दे रहे हैं

नोएडाः सीएम योगी आदित्यनाथ के सामने तीन महीने में 50 हजार फ्लैट देने का वादा करने वाले नोएडा के बिल्डरों की सच्चाई अब सामने आने लगी है और अब बिल्डर अपने वादों से पीछे हटते नजर आ रहे हैं क्योंकि शनिवार को बिल्डरों ने जो कार्य योजना नोएडा प्राधिकरण सीईओ के सामने प्रस्तुत की है उसमें सिर्फ 15 हजार फ्लैट ही तीन माह में निवेशकों को उपलब्ध कराने की बात कही है। जबकि इन्हीं बिल्डरों की ओर से शुक्रवार को ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में महज 3617 फ्लैट देने की बात कही थी, जो मुख्यमंत्री को दिए गए आश्वासन को झूठा साबित करने के लिए पर्याप्त है।

आपको बताते सेक्टर-6 स्थित नोएडा प्राधिकरण कार्यालय पर शनिवार को 39 बिल्डरों के साथ नोएडा प्राधिकरण चेयरमैन व सीईओ अलोक टंडन की बैठक हुई। तीन बैठक में पहले स्तर में बड़े बिल्डरों की कार्ययोजना पर विस्तार से चर्चा हुई। जिसमें 15 हजार तैयार फ्लैटों पर कब्जा देने की बात कही गई। इस पर प्राधिकरण ने स्पष्ट किया कि यह कब्जा तभी मिल सकता है जब बिल्डर कंप्लीशन के लिए प्राधिकरण में आवेदन करें। कंप्लीशन पॉलिसी में बदलाव किया गया है।

नई पॉलिसी के तहत बिल्डर कुल बकाया का 10 प्रतिशत जमा करें तो प्राधिकरण आवेदन किए गए टावरों में आधे का अस्थाई कंप्लीशन सर्टिफिकेट जारी करेगा। साथ ही रजिस्ट्री के दौरान 65 प्रतिशत देना होगा। यह 65 प्रतिशत टावर के प्रति-फ्लैट के अनुसार जमा कराना होगा।

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करीब 25 बिल्डरों ने इस बैठक में हामी भरी कि वह दो माह में 10 प्रतिशत बकाया रकम जमा कर कंप्लीशन के लिए आवेदन करेंगे, जबकि बाकी बिल्डर ने इंकार कर दिया। बिल्डरों ने प्राधिकरण अधिकारियों को स्पष्ट किया कि न तो उनके पास पैसा है और न ही उनके फ्लैट तैयार हैं। प्राधिकरण यदि उन्हें को-डेवलपर को सौंपने की अनुमति दें तो प्रोजेक्ट को पूरा किया सकता है। प्राधिकरण ने इस मांग को विचाराधीन कर दिया।

वहीं ओएसडी संतोष कुमार ने बताया कि अगर बिल्डर इसके बाद भी फ्लैट नहीं देते तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। हालांकि यह बात स्पष्ट नहीं कि कार्रवाई का स्तर क्या होगा। बताते चलें कि बिल्डर पर प्राधिकरण का करीब 25 हजार करोड़ रुपये बकाया है। इसको वसूलने के लिए प्राधिकरण ने 91 बिल्डरों को डिफाल्टर भी घोषित किया है। बावजूद इसके अभी तक बिल्डर बकाया रकम वापस करने में रूचि नहीं ले रहे हैं।

गौर हो कि पिछले दिनों लखनऊ में मुख्यमंत्री के साथ बिल्डर व तीनों प्राधिकरण के सीईओ की बैठक हुई थी। बैठक में मुख्यमंत्री के निर्देशों का पालन करने का आश्वासन बिल्डरों ने दिया था लेकिन दो दिनों से प्राधिकरणों में चलने वाली बिल्डर व अधिकारियों की बैठक में बायर्स को झटका देने वाले ही संकेत मिल रहे हैं।

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