EPFO के अधिकारी सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की कर रहे अवहेलना

संक्षेप:

कोर्ट ने सरकारी कर्मचारियों के हित में एक आदेश देते हुए कहा था कि पेंशन की वेजेस लिमिट पांच हजास से बढ़ाकर 15 हज़ार की जाए। सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को EPFO के कुछ अधिकारी नज़रअंदाज कर रहे हैं और एक महिला को लगातार प्रताड़ित कर रहे हैं।

सरकार देश के नागरिकों के लिए तमाम योजनाएं लाती है, सुप्रीम कोर्ट जनकल्याण के लिए समय-समय पर अहम फैसले लेता है लेकिन सरकारी अधिकारी कहीं न कहीं इन पर पलीता लगाते नज़र आते हैं। मामला देश की राजधानी दिल्ली का है जहां सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को कुछ अधिकारी नज़रअंदाज कर रहे हैं और एक महिला को लगातार प्रताड़ित कर रहे हैं।

दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी कर्मचारियों के हित में एक आदेश देते हुए कहा था कि पेंशन की वेजेस लिमिट पांच हजास से बढ़ाकर 15 हज़ार की जाए। इसके कुछ समय बाद केंद्र सरकार ने सीलिंग को हटाने का फैसला किया और 2017 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू करने के लिए एक आदेश जारी किया। आदेश जारी करने के बाद शाहदरा के भोलानाथ नगर में रहने वाली उषा रानी ने अपनी पेंशन को बढ़ाने के लिए 2017 में आवेदन किया। 2018 में EPFO की तरफ से आवेदन प्राप्त होने का मेल तो आया लेकिन उसके बाद कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के अधिकारियों ने इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया।

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पीड़ित ऊषा ने NYOOOZ.COM से बात करते हुए बताया कि उनसे इस संबंध में द्वारका के ऑफिस ने ज़रूरी कागज़ात के साथ एक लाख 51 हज़ार रुपए का ड्राफ्ट भी मांगा था जिसे उन्होंने तुरंत जमा कराया। आलम तो ये हो गया कि अधिकारी ने बोल दिया कि ड्राफ्ट ही नहीं मिला लेकिन जब महिला सख्ती से पेश आई तो उसके बाद ड्राफ्ट मिलने की बात कबूल की।

EPFO के कर्मचारी के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही वो रोज नए-नए बहाने बनाकर महिला को भगा देता है। महिला ने दस रिमांइडर भी भेजे हैं लेकिन अधिकारियों की नींद नहीं खुली। दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर महिला ने मानवाधिकार आयोग का दरवाज़ा खटखटाया है। आयोग ने EPFO को आठ हफ्ते का समय देते हुए जवाब मांगा है।

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