चुनाव के दौरान राम मंदिर मुद्दे को दबाकर बड़े शस्त्र साबित हुए योगी आदित्यनाथ

संक्षेप:

  • राम मंदिर मुद्दे को दबाकर बड़े शस्त्र बने योगी
  • क्या ये बीजेपी की एक बड़ी रणनीति का हिस्सा था?
  • जानिए पुरी बात

उत्तर प्रदेश में लंबे समय से विवाद का विषय  बना हुआ है राम मंदिर और यूपी के साधु-संत से लेकर आम जनता भी लंबे अर्से से राम मंदिर निर्माण के लिए विवाद कर रहे हैं. ऐसे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ  ने चुनाव के दौरान की उपस्थिति ने उत्तर प्रदेश में राम मंदिर मुद्दे को चुनाव के दौरान ठंडा रखने में बड़ी भूमिका निभाई है. लंबे समय से विवाद का विषय बना राम मंदिर का मुद्दा चुनाव से कुछ ही वक्त पहले अचानक दब गया. क्या यह सिर्फ मोदी लहर का नतीजा था या फिर बीजेपी की एक बड़ी रणनीति का हिस्सा? यह सवाल उत्तर प्रदेश में कट्टर हिंदुवादियों से लेकर राजनीतिक पंडितों के बीच में घूम रहा है.

साधु-संतों से लेकर हिंदुवादियों तक को काबू में रखने के लिए योगी आदित्यनाथ सबसे बड़े शस्त्र साबित हुए हैं.  यह एक आश्चर्य की बात है कि ऐसा चुनाव जिसमें मंदिर का मुद्दा ऐसा हो गया कि साधु-संत भी मंदिर छोड़कर पहले मोदी की बात करने लगे. अयोध्या में अभी ज्यादा वक्त नहीं गुजरा जब पिछले साल अक्टूबर से लेकर दिसंबर तक विश्व हिंदू परिषद से लेकर हिंदूवादी संगठनों और शिवसेना तक ने चुनाव से पहले मंदिर की तारीख बताने को लेकर आसमान सिर पर उठा लिया था. लेकिन ऐसा क्या हुआ कि एक-एक करके सभी शांत होते चले गए और पूरे चुनाव में ऐसा लगा जैसे राम मंदिर तो इस देश में मुद्दा कभी रहा ही नहीं.

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दरअसल, मंदिर मुद्दे पर बीजेपी ने लॉन्ग टर्म ओर शॉर्ट टर्म दोनों रणनीतियां बनाईं. योगी आदित्यनाथ को जब मुख्यमंत्री बनाया गया तो बीजेपी की यह पसंद कइयों के गले नहीं उतरी लेकिन 2019 के चुनाव में प्रचंड बहुमत में राम मंदिर मुद्दे का रत्तीभर भी योगदान नहीं दिखा तो पता चला कि योगी की उपयोगिता मोदी और शाह की जोड़ी ने ढाई साल पहले ही भांप ली थी.  मंदिर मुद्दे में वक्त लगेगा इसे भांपते हुए योगी आदित्यनाथ ने सबसे पहले अयोध्या में दीपोत्सव का शुभारंभ किया. वहां दीवाली मनाई, अयोध्या के सौन्दर्यीकरण और भगवान राम की दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति का प्रोजेक्ट अयोध्या के लोगों और साधु संतों के सामने रखा. जिससे अयोध्या में आम लोगों और साधु-संतों के गुस्से पर कुछ लगाम लगी.

योगी आदित्यनाथ अति राष्ट्रवादी और हिंदुवादी वैचारिक पृष्टभूमि से आते हैं और दूसरे मंदिर आंदोलन के अगुआ रहे गोरक्षनाथ पीठ के पीठाधीश्वर हैं. आज भी गोरक्षनाथ पीठ से निकला एक-एक शब्द साधु-संत संप्रदाय के एक बड़े हिस्से में आदेश की तरह माना जाता है. दूसरा राम मंदिर से जुड़े जितने भी साधु संत और संगठन हैं, योगी आदित्यनाथ इनके रग-रग से वाकिफ हैं, इनकी कमियों और इनके प्रभाव को योगी से बेहतर कोई नहीं समझता.

ऐसे में जब योगी आदित्यनाथ को ही मंदिर मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक चलने का निर्देश हुआ तो यूपी में योगी इस मुद्दे पर साधु संतों को समझाने में सफल रहे कि मोदी का दोबारा आना ही राम मंदिर का रास्ता साफ करेगा.

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