नए भूमि अधिग्रहण कानून से किसानों को हुआ फायदा

संक्षेप:

  • 2013 के नए जमीन अधिग्रहण कानून के तहत जमीन का अधिग्रहण।
  • इस कानून के तहत प्रभावित किसानों का विस्थापन।
  • इससे जेवर के किसानों का फायदा भी हुआ।

नोएडा- जेवर एयरपोर्ट के लिए 2013 के नए जमीन अधिग्रहण कानून के तहत जमीन का अधिग्रहण किया गया। इसी कानून के तहत प्रभावित किसानों का विस्थापन भी किया गया है। इससे जेवर के किसानों का फायदा भी हुआ है। एक जमीन के चार गुने मुआवजे की मांग को छोड़ दें तो पूरे अधिग्रहण में किसानों ने विरोध दर्ज नहीं कराया। प्रशासन ने विस्थापन नियमों से आगे बढ़कर किसानों के लिए जेवर बांगर में टाउनशिप विकसित की है, जहां पर उन्हें भूखंड आवंटित किए गए हैं।

पहले चरण के लिए 1334 हेक्टेयर जमीन का नए भूमि अधिग्रहण कानून के तहत अधिग्रहण किया गया है। रोही, रन्हेरा, दयानतपुर, बनवारीवास, किशोरपुर, पारोही की खेती और आबादी की जमीन का अधिग्रहण हुआ है। परियोजना में लगभग 3000 परिवार विस्थापित हुए और उन्हें जेवर बांगर में बसाया गया है। नए भूमि अधिग्रहण कानून के तहत देश का पहला सबसे बड़ा विस्थापन था। किसानों के विस्थापन के लिए प्रशासन ने टाउनशिप विकसित करते हुए वर्ल्ड क्लास सुविधाओं से लैस करने का दावा किया है।

यमुना प्राधिकरण के सीईओ अरुणवीर सिंह का कहना है कि किसानों को हर तरह की सुविधा दी जा रही है। भूमि अधिग्रहण कानून के तहत किसानों को 50 वर्ग मीटर में भवन बनाकर देना था, लेकिन एयरपोर्ट के प्रभावित किसानों को प्रशासन ने भूमि अधिग्रहण से भी आगे बढ़ते हुए मकान बनाने के लिए कम से कम 50 वर्गमीटर का भूखंड। यहीं नहीं किसानों को 500 मीटर तक आबादी के हिसाब से मकान बनाने के लिए जमीन आवंटित की गई है। 500 रुपये प्रति वर्गमीटर की मुआवजा वृद्धि भी की गई थी।

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