पूर्व लोकसभा स्पीकर सोमनाथ चटर्जी का निधन, जानिए कैसा रहा पूरा जीवन

संक्षेप:

  • पूर्व लोकसभा स्पीकर सोमनाथ चटर्जी का निधन
  •  सोमनाथ चटर्जी ने लंबी बीमारी के बाद ली अंतिम सांस
  • उत्कृष्ट सांसद, मजबूत नेता और प्रखर वक्ता सोमनाथ चटर्जी

पूर्व लोकसभा स्पीकर और वरिष्ठ सीपीएम नेता स्पीकर सोमनाथ चटर्जी का 89 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। रविवार को दिल का दौरा पड़ने के बाद उनको कोलकाता के अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां उनकी बिगड़ती हालत को देखते हुए उनको वेंटिलेटर पर रखा गया था लेकिन फिर भी उनकी स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ। जिसके बाद उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। आपको बता दें कि इससे पहले चटर्जी को जून में एक हीमोराजिक स्ट्रोक का सामना करना पड़ा था जिसके बाद उनके स्वास्थ्य में लगातार गिरावट आ रही थी। 2014 में भी चटर्जी को एक हल्का सेरेब्रल स्ट्रोक हुआ था।

पिता के नक्शे कदम पर चलते थे सोमनाथ

सोमनाथ चटर्जी का जन्म 25 जुलाई 1929 को असम के तेजपुर में एक बंगाली ब्राह्मण निर्मलचन्द्र चटर्जी के घर हुआ था। सोमनाथ के पिता एक प्रसिद्ध वकील और राष्ट्रवादी हिन्दू जागृति के समर्थकों में से एक थे जो अखिल भारतीय हिन्दू महासभा के संस्थापक सदस्य भी थे। अपने पिता के नक्शे कदम पर चलते हुए सोमनाथ एक वकील बने जिसके बाद वह 1968 में सक्रिय राजनीति से जुड़ गए थे। सोमनाथ चटर्जी की प्रारंभिक शिक्षा कोलकाता और ब्रिटेन में पूरी हुई थी। ब्रिटेन से वापस लौटने के बाद उन्होंने कोलकाता के प्रेसीडेंसी कॉलेज में आगे की पढ़ाई पूरी की। जिसके बाद वह ब्रिटेन गए जहां वह मिडिल टैंपल कॉलेज से लॉ की पढ़ाई करने के बाद भारत लौटे और कोलकाता के हाईकोर्ट में प्रैक्टिस शुरू की।

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सीपीएम के साथ शुरू किया राजनीतिक जीवन

वकालत में नाम कमाने के बाद उन्होंने 1968 में सक्रिय राजनीति में कदम रखा जिसके बाद उनका नाम देश के चुनिंदा नेताओं के लिस्ट में शामिल हो गया। 1968 में अपने सक्रिय राजनीतिक जीवन की शुरुआत करने वाले सोमनाथ चटर्जी ने सीपीएम के साथ अपनी शुरुआत की थी जिसके बाद वह 2008 तक अपनी पार्टी के साथ जुड़े रहे। चटर्जी 1971 में पहली बार सांसद के रूप में चुन कर लोकसभा गए जिसके बाद से उनका राजनीतिक कद लगातार बढ़ता गया। चटर्जी सबसे ज्यादा वक्त तक सांसद रहने वाले नेताओं की लिस्ट में शामिल हैं। उनकी पत्नी रेणु चटर्जी थी और उनको तीन संतान हैं जिसमें 1 बेटा और 2 बेटियां हैं।

बतौर सांसद चुने गए थे सोमनाथ चटर्जी

2008 में पार्टी ने यूपीए गठबंधन को अपना समर्थन वापस लेने के बाद अध्यक्ष के रूप में इस्तीफा देने के लिए सीपीआई (एम) से निष्कासित कर दिया था। चटर्जी ने 2008 में नो-कॉन्फिडेंस मोशन के दौरान सरकार के खिलाफ मतदान करने से इंकार कर दिया, क्योंकि इसका मतलब विपक्षी दल बीजेपी के साथ मतदान करना होगा। चटर्जी के अनुसार निष्कासन उनके जीवन के सबसे बुरे दिन में से एक था जिसके बाद चटर्जी 2009 में सक्रिय राजनीति से सेवानिवृत्त हुए थे। अपने राजनीतिक जीवन में सोमनाथ चटर्जी ने काफी नाम कमाया जिसमें उन्होंने 1971 से लेकर सभी लोकसभाओं में बतौर सांसद चुने जाने पर जनता की सेवा की। वर्ष 2004 में चटर्जी देश की 14वीं लोकसभा में 10वीं बार निर्वाचित हुए थे। चटर्जी ने 35 साल तक एक सांसद के रूप में जनता की सेवा की जिसके लिए उन्हें 1996 में उतकृष्ठ सांसद पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

सोमनाथ चटर्जी ने देखी थी हार

अपने पूरे राजनीतिक जीवन में कभी हार का मुंह न देखने वाले सोमनाथ चटर्जी को एकमात्र हार का सामना करना पड़ा था जब 1984 में जादवपुर सीट पर हुए लोकसभा चुनाव में वर्तमान में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सीपीएम के इस नामी नेता को हरा दिया था।

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