युवा दिवसः खुद कूड़ा उठाया, ढाबे पर काम किया लेकिन नहीं मानी हार, अब देव प्रताप बने 370 गरीब बच्चों के पालनहार

संक्षेप:

नोएडा: ग्रेटर नोएडा वेस्ट की ट्राईडेंट एंबेसी सोसाइटी निवासी देव प्रताप का जीवन संघर्ष से भरा रहा। रेलवे स्टेशन पर कूड़ा उठाया, ढाबे पर काम किया, वेटर की नौकरी की, लेकिन हार नहीं मानी। आखिर में सफलता प्राप्त करते हुए एक अच्छी नौकरी हासिल की।

नोएडा: ग्रेटर नोएडा वेस्ट की ट्राईडेंट एंबेसी सोसाइटी निवासी देव प्रताप का जीवन संघर्ष से भरा रहा। रेलवे स्टेशन पर कूड़ा उठाया, ढाबे पर काम किया, वेटर की नौकरी की, लेकिन हार नहीं मानी। आखिर में सफलता प्राप्त करते हुए एक अच्छी नौकरी हासिल की।

अब वह युवा उन गरीब बच्चों की जिंदगी में रोशनी भरने की कोशिश कर रहे हैं, जो अंधेरे में रह रहे थे। देव प्रताप नोएडा और ग्रेनो वेस्ट के 370 गरीब बच्चों को पढ़ा रहे हैं। मूल रूप से मध्य प्रदेश के चंबल निवासी देव प्रताप ने अपने जीवन से सबक लेकर पांच साल पहले एक पहल शुरू की। इनका सपना है कि उसकी तरह रेडलाइट, फुटपाथ पर भीख मांगने, सामान बेचने वाले बच्चों का जीवन भी बदल जाए। वह चाहते हैं कि सभी बच्चे स्नातक तक पढ़ें और फिर अपने पैरों पर खड़े हो जाएं, ताकि उनकी अगली पीढ़ी बदल सके। इसी मकसद से उन्होंने शादी भी नहीं की है।

संघर्ष से जीवन में मिली सफलता

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देव प्रताप ने वर्ष 2004 में कुछ बड़ा करने का सपना देखकर 11 साल की उम्र में घर छोड़ दिया था। ट्रेन से ग्वालियर रेलवे स्टेशन पहुंचे। उस वक्त जेब में महज 130 रुपये थे। दो दिन में रुपये खत्म हो गए। भूख लगी तो स्टेशन पर कूड़ा उठाने वाले बच्चों के साथ काम करना शुरू कर दिया। छोटी उम्र में नशे की आदत लग गई। चोरी भी करने लगे। खाने की जगह नशा करने के लिए पैसा कमना शुरू किया। चोरी के आरोप में जेल पहुंच गए। वहां एक व्यक्ति ने मदद की और 15 दिन के बाद जमानत करा दी। इसके बाद वापस स्टेशन पर नहीं पहुंचे। देव प्रताप ने ग्वालियर में ही एक ढाबे पर बर्तन धोने का काम शुरू किया। पास में ही एक कॉरपोरेट ऑफिस था। सुबह की चाय लेकर जाने के दौरान ही वहां के कर्मचारियों से अंग्रेेजी सीख ली।

पहली सैलरी से खरीदी वेटर की ड्रेस और पहुंच गए गोवा

देव प्रताप ने बताया कि ढाबे की पहली सैलरी से वेटर की ड्रेस खरीदी और ट्रेन पकड़कर गोवा पहुंच गए। वहां एक बीच स्थित रेस्तरां में काम मिल गया। टिप में डॉलर मिलता था। तीन साल पैसा कमाने के बाद ग्रेटर नोएडा में आकर एक मोबाइल की दुकान शुरू की, जो सफल नहीं हो सकी। इसके बाद सेल्स बॉय बन गए। 

एमबीए किए युवकों का बॉस था पांचवीं पास युवक

देव प्रताप ने कक्षा पांच तक पढ़ाई की है। एक मोबाइल कंपनी में सेल्स बॉय की नौकरी से मार्केटिंग सुपरवाइजर और फिर पंजाब के एरिया सेल्स मैनेजर बन गए। उनका वेतन 45 हजार पहुंच गया। इनके नीचे काम करने वाले युवक एमबीए पास थे। लंबे समय बाद मां से उनकी मुलाकात हुई, लेकिन अगले दिन सड़क हादसे में मां की मौत हो गई।

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