कोरोना के साये में टीबी पसार रहा अपने पैर

संक्षेप:

  • टीबी पसार रहा अपने पैर
  • लगातार मिल रहे है मामले
  • 2025 तक क्षय रोग मुक्त बनाने का है लक्ष्य

सरकार और शोधकर्ताओं ने मिलकर कोरोना को तो बहुत हद तक नियंत्रित कर लिया पर कोरोना के आहोश में टीबी ने अपने पैर धीरे-धीरे पसार लिए है। दरअसल पिछले कुछ वक्त में टीबी के वजह से 240 से भी अधिक लोगों कि जान जा चुकी है।

बात साफ हैं कि कोरोना के सापेक्ष में टीबी ने अपने पैर फिर से पसार लिए है। टीबी (क्षय रोग) बढ़ने का सबसे बड़ा कारण जागरूकता का अभाव रहा, दरअसल कोरोना के कठिनाईयों से निपटने में सरकार व स्वास्थ्य कर्मीयों ने टीबी पर ध्यान नही दे पाये। साल 2020 में बिना जांच अभियान के 6,857 रोगियों ने खुद टीबी रोग का पंजीकरण कराया है।

कोरोना के कठिन समय में 2302 टीबी मरीज ठीक हुए है। जबकि इस जानलेवा बीमारी ने 246 लोगों को मौत के आहोश में सुला दिया है। आपको बतादें कि प्रदेश सरकार ने जिला क्षय रोग विभाग को 2025 तक क्षय रोग मुक्त करने का आदेश दिया है। पर ठीक इसके उलट हर वर्ष 5 से 7 हजार नए क्षय रोग के मरीज मिल रहे है। इसे देखते हुए कहा जा सकता है कि जिले में क्षय रोग नियंत्रण से पुरी तरह बाहर है।

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