दुनिया का अब तक का सबसे महंगा चुनाव, 75 दिन में खर्च हुए 60,000 करोड़
- संसदीय चुनाव 2019 अब तक सबसे महंगा चुनाव है.
- 7 चरणों और 75 दिनों तक चले इस चुनाव में 60 हजार करोड़ रुपये खर्च हुए हैं.
- ये आकलन निजी थिंक टैंक सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज ने किया है.
नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2019 खत्म हो गया है, लेकिन इस चुनाव से जुड़े आंकड़े आपको चौका सकते हैं. संसदीय चुनाव 2019 अब तक सबसे महंगा चुनाव है. 7 चरणों और 75 दिनों तक चले इस चुनाव में 60 हजार करोड़ रुपये खर्च हुए हैं. ये आकलन निजी थिंक टैंक सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज ने किया है.
सेंटर फॉर मीडिया स्टटडी (सीएमएस) की स्टडी के मुताबिक इस चुनाव के दौरान एक वोट पर औसतन 700 रुपये खर्च किए गए. अगर लोकसभा क्षेत्र के लिहाज से बात करें तो इस चुनाव में हर लोकसभा क्षेत्र में 100 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं. सीएमएस की रिसर्च में पता चला है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में 30 हजार करोड़ रुपये खर्च हुए थे जो इस बार बढ़कर दोगुना हो गया. इस तरह से भारत का 2019 का लोकसभा चुनाव अबतक का सबसे महंगा चुनाव हो गया है. सीएमस का दावा है कि यह अब तक दुनिया का सबसे महंगा चुनाव है.
राजनीतिक दलों ने सिर्फ विज्ञापन पर खर्च किए 25 हजार करोड़
इस रिपोर्ट को इंडिया इंटरनेशनल सेंटर दिल्ली में जारी किया गया. इस दौरान देश के पूर्व चुनाव आयुक्त एस वाई कुरैशी भी मौजूद रहे. रिपोर्ट के मुताबिक 12 से 15 हजार करोड़ रुपये मतदाताओं पर खर्च किए गए, 20 से 25 हजार करोड़ रुपये विज्ञापन पर खर्च हुए, 5 हजार से 6 हजार करोड़ रुपये लॉजिस्टिक पर खर्च हुए. 10 से 12 हजार करोड़ रुपये औपचारिक खर्च था, जबकि 3 से 6 हजार करोड़ रुपये अन्य मदों पर खर्च हुए. इस रकम को जोड़ने पर 55 से 60 हजार का आंकड़ा आता है. यहां यह बताना जरूरी है कि चुनाव आयोग से मान्यता प्राप्त खर्च की वैध सीमा मात्र 10 से 12 हजार करोड़ रुपये थी.
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75 दिन के चुनाव में खर्च हुए 60,000 करोड़
सीएमएस ने इस रिपोर्ट को चुनाव खर्च: 2019 के चुनाव नाम से जारी किया है. इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 1998 से लेकर 2019 के बीच लगभग 20 साल की अवधि में चुनाव खर्च में 6 से 7 गुना की बढ़ोतरी हुई. 1998 में चुनाव खर्च करीब 9 हजार करोड़ रुपये था जो अब बढ़कर 55 से 60 हजार करोड़ रुपये हो गया है.
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