दाऊद इब्राहिम की नाक में नकेल डाल रही मोदी सरकार

  • Tuesday | 19th September, 2017
  • crime
संक्षेप:

  • दाऊद के गुर्गों को सलाखों के पीछे पहुंचाने का फरमान
  • अंडर वर्ल्ड से जुड़ी हर गतिविधि पर कड़ी नज़र
  • दाऊद इब्राहिम को नेस्तनाबूत करने की तैयार

नोएडा- भारत सरकार का शिकंजा लगातार माफिया डॉन दाऊद इब्राहिम पर कसता जा रहा है। मोदी सरकार ने सभी एजेंसीज़ को दाउद के सभी गुर्गों को सलाखों के पीछे पहुंचाने का फरमान जारी किया है। केंद्र सरकार की कोशिशों ने रंग दिखाना भी शुरु कर दिया है। थाणे पुलिस की क्राइम ब्रांच ने दाउद इब्राहिम के भाई इकबाल कासकर को गिरफ्तार कर लिया है। इसकी पुलिस को लम्बे अर्से से तलाश थी।

सूत्रों के मुताबिक भेंडी बाज़ार में रहने वाले इकबाल कासकर को पुलिस ने उसके घर से गिरफ्तार किया गया है। थाणे के एक बिल्डर ने उसके खिलाफ मामला दर्ज कराया था। बिल्डर के मुताबिक उसने इकबाल कासकर ने उससे कई बार रंगदारी वसूली। लगातार फिरौती की मांगों से परेशान इस बिल्डर ने थाणे पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज करायी। इकबाल कासकर दाउद इब्राहिम का छोटा भाई है। थाणे पुलिस ने NYOOOZ को बताया कि इस केस की पड़ताल की गयी। जांच में इकबाल कासकर पर रंगदारी वसूलने और धमकाने में हाथ मिला। पुलिस का कहना है कि इस मामले में इकबाल कासकर के कुछ साथियों को भी जल्द गिरफ्तार किया जाएगा।

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अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद और राजन की कहानी
जब भी किसी माफिया गैंग या डॉन की बात चलती है तो सबके ज़हन में जो सबसे पहला नाम आता है वो है मुम्बई अंडरवर्ल्ड का डॉन दाऊद इब्राहीम, लेकिन ये बात कम ही लोग जानते हैं की मुम्बई के डॉन को इंटरनेशनल डॉन बनाने में सबसे बड़ा हाथ छोटा राजन का ही है, लेकिन आज वही राजन उसका सबसे बड़ा जानी दुश्मन बना बैठा है और दाऊद भी उसके खून का प्यासा है।

कभी दोनों थे जिगरी यारआज पूरी दुनिया जानती है कि दाऊद और छोटा राजन एक दूसरे के जानी दुश्मन हैं, लेकिन एक समय था जब दोनों एक दूसरे के लिए जान देने को भी तैयार रहते थे। मुंबई बम धमाके के वक्त और दाऊद की बहन के पति की हत्या तक और इसके कुछ बक्त बाद तक भी छोटा राजन दाऊद का दाहिना हाथ हुआ करता था, लेकिन आखिर ऐसा क्या हुआ कि दोनों जानी दुश्मन बन गए।

राजेन्द्र निखलजे कैसे बना छोटा राजन
राजेन्द्र सदाशिव निखलजे उर्फ छोटा राजन का जन्म 1956 में मुंबई के चेंबूर में एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था। उसके पिता थाणे स्थित हेश्ट कंपनी में काम किया करता था। छोटा राजन के तीन भाई और दो बहनें और हैं। वैसे तो मूलत: उसका परिवार सतारा लोनार गांव का है। पढ़ने लिखने में उसे कोई दिलचस्पी नहीं थी। इस लिए बारहवीं जमात से आगे न पढ़ सका। ये वो दौर था जब मुंबई शहर में दादागिरी का कारोबार तेजी से बढ़ रहा था। राजन बुरी संगत के चलते जगदीश शर्मा उर्फ गूंगा के गिरोह में शामिल हो गया।

मिला बड़ा राजन का साथ
साथ ही उस वक्त चेंबूर और घाटकोपर इलाके में वरदा भाई के सहायक और मिल मजदूर नेता रहे राजन नायर का सिक्का चलता था। उसी इलाके में राजेन्द निखलजे भी गली कूचों में मारपीट और छोटे मोटे अपराध करके अपना नाम ऊंचा करने में जुटा था।

कैसे बढ़ा छोटा राजन का रुतबा
यहीं से उसने सिनेमा हॉल के टिकट ब्लैक करना शुरू किया। सुनने में तो ये भी आता है की उसने एक बार पुलिस वाले को उसी के डंडे से मारा था। धीरे-धीरे उसके किस्से इलाके में मशहूर होने लगे। यही किस्से बड़ा राजन के कानों तक भी जा पहुंचे। बड़ा राजन ने राजेन्द्र निखलजे को अपने करीब रख लिया और उसे वरदा भाई के साथ सोने की स्मगलिंग में लगा दिया। राजेन्द्र निखलजे को चेंबूर और घाटकोपर में गिरोह के सामान्य कार्यों की जिम्मेदारी भी सौंप दी गई। देखते ही देखते राजेन्द्र निखलजे नाम का ये युवक बड़ा राजन का सबसे करीबी और खास आदमी बन गया। राजन के गिरोह के दूसरे साथी इसे छोटा राजन नाम से पुकारने लगे। 80 का दशक शुरू हुआ तो राजन गिरोह सुपारी लेकर हत्या करने के धंधे में आ गया।

यहां से मिला दाऊद का साथ
यह वह समय था जब हाजी मस्तान और करीम लाला के सितारे भी गर्दिश में थे और दाऊद और करीम लाल में जंग छिड़ी हुई थी। ऐसे में राजन का गिरोह भी पठानों के खिलाफ गैंगवार में दाऊद के साथ मिल गया। लेकिन इस जंग में बड़ा राजन को अपनी जान गंवानी पड़ि इसके बाद यहीं से छोटा राजन दाऊद के करीब आया। दाऊद और छोटा राजन की दोस्ती गहरी होती गई और मुंबई अडरवर्ल्ड में इन दोनों नामों को एक साथ लिया जाने लगा। यहां तक की जब 1988 में जब दाऊद को पुलिस के दबाव में दुबई भागना पड़ा तो उसने मुंबई में फैले अपने काले साम्राज्य को छोटा राजन को ही सौंप कर गया।

पठान और दाऊद की दुश्मनी
इसी दौरान में मुंबई में एक और माफिया सरगना अरुण गवली सिर उठाने लगा था। दरअसल दाऊद के मुस्लिम होने की वजह से अरुण गवली और उसके साथी दाऊद के साथ छोटा राजन की जान के भी दुश्मन थे। इसी के चलते दोनों गिरोह के बीच खूनी गैंगवार में कई दर्जन छोटे बड़े अपराधी मौत के घाट उतारे गए।

दाऊद और राजन के बीच आ गई दूरियां
इसके बाद वो हुआ जिसकी किसी को आशंका भी नहीं थी। 1992 आते-आते छोटा राजन और दाऊद में भी मतभेद गहराने लगे। इसके पीछे कई कारण थे। दरअसल दाऊद जुर्म की दुनिया का बेताज बादशाह जरूर बन गया था। मगर एक डर उसे हमेशा सताता रहता था वो तो अपनों से गद्दारी का डर। ऐसे में छोटा शकिल ने उसके राजन के खिलाफ दाऊद के कान भरने शुरू कर दिया। और जो सबसे मुख्य कारण था वो ये था की राजन दाऊद की बहन के पति के हत्यारों को मारने में नाकाम साबित हो रहा था, जिसका फायदा उठाया शकिल ने। एक और ऐसी ही घटना हुई जिसने दाऊद और राजन के बीच खाई पैदा कर दी। हुंआ यूं कि राजन के एक बेहद करीबी तैय्यब भाई को दाऊद के शूटरों ने मार डाला। दाऊद का कहना था की वो पुलिस का मुखबिर बन चुका था।

ये बने दूरियों के कारण
कहा जाता है कि बाबरी मस्जिद विध्वंस हो जाने के बाद दाऊद पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI का करीबी हो गया था। यही वो वक्त था जब दाऊद इब्राहीम आईएसआई के इशारे पर मुंबई धमाकों की साजिश रच रहा था। इस साजिश को अंजाम देने के लिए दाऊद को किसी मुस्लिम गुर्गे की जरूरत थी। इस लिए उसने छोटा राजन को किनारे कर अबु सलेम और मेमन बंधुओं को गिरोह की कई जिम्मेदारियां दे दीं।

दोनों गिरोह में छिड़ गई खूनी जंग
यहीं से छोटा राजन महसूस कर रहा था कि कोई बड़ा हादसा होने वाला है। क्योंकि खुद को किनारे किए जाने की दाऊद की रणनीति को वो समझ रहा था। लेकिन मुंबई धमाकों से पहले ही एक ऐसी घटना हो गई जिसने दाऊद और छोटा राजन के बीच दुश्मनी के बीच को हवा दे दी। बस यहीं से दो दोस्त बन गए एक दूसरे के जानी दुश्मन। इसके बाद दोनों गिरोह में छिड़ गई खूनी जंग।

छोटा शकील बना दाऊद का सिपहसालार
इसके बाद दाऊद ने गिरोह को दोबारा खड़ा करने के लिए और मायानगरी में अपना साम्राज्य फैलाने के लिए छोटा शकील को अपना सिपहसालार बना दिया। लेकिन छोटा राजन के साथी रोहित वर्मा और शूटर गुरू सॉटम लगातार दारूद गिरोह पर भारी पड़ते रहे।
दोनों की दुश्मनी बदस्तुर जारी है।

इसके बाद दाऊद खुद तो पाकिस्तान में पनाह ले चुका था और छोटा राजन बैंकॉक को अपना ठिकाना बना चुका था। इसी बीच छोटा शकील को छोटा राजन की लोकेशन मिल गई। 14 सितंबर 2000 को बैंकॉक में हमले की साजिश रची गई। छोटा शकील ने इस हमले को बहुत ही सुनियोजित ढंग से अंजाम दिया। वो इस हमले के जरिए एक साथ कई शिकार करना चाहता था लेकिन किस्मत ने साथ नहीं दिया। इस हमले में छोटा राजन बाल-बाल बच निकला। .....और तबसे लेकर अभी तक इन दोनों की दुश्मनी बदस्तूर जारी है।

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