रेरा एक्ट में बदलाव को लेकर नेफोवा की याचिका पर HC में सुनवाई आज
- नेफोवा ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक्ट से छेड़छाड़ किए जाने के खिलाफ रिट पिटीशन दायर की
- इस याचिका को हाईकोर्ट ने लिस्टिंग के लिए मंजूर कर लिया है
- उत्तर प्रदेश सरकार ने ने रेरा लागू करने से पहले जानकारी दी थी
रेरा के प्रावधानों में यूपी सरकार द्वारा जुलाई में बदलाव के साथ राज्य में लागू किए जाने के बाद नेफोवा ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक्ट से छेड़छाड़ किए जाने के खिलाफ रिट पिटीशन दायर की थी और इस याचिका को हाईकोर्ट ने लिस्टिंग के लिए मंजूर कर लिया है और आज इस पर आज यानि मंगलवार को सुनवाई होगी। नेफोवा के मुताबिक राज्य में जो रेरा एक्ट लागू किया है उसके तहत निर्माणाधीन प्रोजेक्ट की परिभाषा केंद्र द्वारा पारित रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवलेपमेंट एक्ट 2016 से अलग है।
नेफोवा की महासचिव श्वेता भारती ने बताया कि सिर्फ नोएडा और ग्रेटर नोएडा में ही करीब ढाई लाख फ्लैट खरीदार प्रोजेक्ट पूरा होने में हो रही देरी से प्रभावित हैं। 2010-11 में घर बुक कराने के बाद अभी तक घर नहीं मिल पाने की दशा में अगर रेरा एक्ट लागू होने के बावजूद उन्हें कोई राहत नहीं मिलती है और राज्य सरकार द्वारा उनके प्रोजेक्ट को रेरा के दायरे से बाहर रखा जाता है तो लाखों फ्लैट खरीदारों के साथ धोखा होगा। उन्होंने कहा कि अब नेफोवा को उम्मीद है कि हाईकोर्ट में दायर रिट पिटीशन से जल्द ही होम बायर को न्याय मिलेगा।
दरअसल उत्तर प्रदेश सरकार ने ने रेरा लागू करने से पहले जानकारी दी थी कि जिन प्रोजेक्ट के लिए 27 अक्टूबर, 2016 से पहले कम्पलीशन सर्टिफिकेट या ऑक्यूपेशन सर्टिफिकेट के लिए आवेदन किया गया है हालांकि वो प्रोजेक्ट रेरा एक्ट के दायरे में नहीं आएंगे और इसी का फायदा उठाकर कई बिल्डरों ने आधे-अधूरे प्रोजेक्ट के कम्पलीशन सर्टिफिकेट के लिए प्राधिकरण में आवेदन कर दिया था। वहीं नेफोवा का आरोप है कि प्राधिकरण और बिल्डर की मिलीभगत से नोएडा व ग्रेटर नोएडा के कई प्रोजेक्ट को बिना किसी जांच के कम्पलीशन सर्टिफिकेट जारी कर दिया गया है साथ ही, राज्य सरकार द्वारा लागू एक्ट में कॉमन एरिया की परिभाषा को भी बदल दिया गया है।
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