नोएडा: रेमडेसिविर की कालाबाजारी में तीन पकड़े, 30 से 50 हजार में बेचते थे इंजेक्शन

संक्षेप:

  • जीवनरक्षक दवाइयों की कालाबाजारी
  • रेमडेसिविर की कालाबाजारी से तीन पकड़े
  • 30 से 50 हजार रुपये में बेचते थे इंजेक्शन

नोएडा । शर्मनाक बात है कि ऐसे हालात में जहां लोग एक दवाई में अपनी ज़िन्दगी देख रहे हैं, बच रहे हैं. उस दवाई की कुछ लोग कालाबाज़ारी कर रहे हैं. पुलिस ने ऐसे ही कुछ लोगों पर नज़र बनाई रखी और जीवनरक्षक दवाइयों की कालाबाजारी करने वाले तीन आरोपियों को फेज-दो पुलिस ने एनएसइजेड गेट से गिरफ्तार किया है।
 
एक आरोपी मेडिकल रिप्रजेंटेटिव निकला

एक आरोपी मेडिकल रिप्रजेंटेटिव (एमआर) है और दो उसके सहयोगी हैं। आरोपियों के कब्जे से 3 रेमडेसिविर इंजेक्शन और तीन मोबाइल जब्त किए गए हैं। आरोपी एक इंजेक्शन को 30 से 50 हजार रुपये में बेचते थे। पुलिस आरोपियों पर गैंगस्टर एक्ट की कार्रवाई भी करेगी।

सेंट्रल जोन के एडीसीपी अंकुर अग्रवाल के अनुसार, बृहस्पतिवार को मुखबिर ने एसीपी अब्दुल कादिर को फोन पर सूचना दी कि एक व्यक्ति रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी कर रहा है और उनसे 37 हजार रुपये में इंजेक्शन का सौदा हुआ है। इसके बाद एक टीम तैयार की गई और तय समय पर पैसे लेकर पुलिसकर्मी को बिना वर्दी में भेजा गया। जबकि कुछ अन्य कर्मचारी आसपास तैनात किए गए थे। मौके पर जाकर बात की तो तीन युवक मिले और उन्होंने 15 हजार रुपये प्रति इंजेक्शन के मांगे। इसी बीच बात करते हुए तीनों आरोपियों को पुलिस ने दबोच लिया।
 
आरोपी 10 से अधिक इंजेक्शन बेच चुके

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आरोपियों के कब्जे से तीन इंजेक्शन बरामद हुए। एक आरोपी की पहचान गाजियाबाद के नंदग्राम निवासी परवेज के रूप में हुई। वह इन दिनों एक कंपनी के साथ जुड़कर एमआर के रूप में काम कर रहा था। दूसरे आरोपी की पहचान इकोटेक थानाक्षेत्र के सैनी गांव निवासी नईम और तीसरे की दनकौर कोतवाली के कनरसा निवासी निसार के रूप में हुई है।

इंजेक्शन मुहैया कराने का काम परवेज करता था जिन्हें निसार और नईम बिकवाते थे। आरोपी अब तक 10 से अधिक इंजेक्शन बेच चुके हैं। बरामद इंजेक्शन में से एक बांग्लादेश की हैट्रो कंपनी और दो जुबलीकेंट कंपनी के हैं।
 
सोशल मीडिया से ढ़ूंढ़े ग्राहक
 
पुलिस के अनुसार, इन दिनों लोग फेसबुक, व्हाटसएप समेत अन्य सोशल मीडिया के प्लेटफार्म के माध्यम से जीवन रक्षक दवाइयों की मदद मांग रहे हैं। आरोपी भी क्षेत्रीय होने के कारण दिल्ली, गौतमबुद्ध नगर और गाजियाबाद समेत एनसीआर के क्षेत्रीय लोगों द्वारा बनाए गए व्हाटसएप ग्रुप से जुड़े हुए हैं। जो लोग ग्रुप में जीवन रक्षक दवाइयों की मांग करते थे आरोपी उनसे व्हाटसएप कॉल करके बताते थे कि उनका मरीज ठीक हो गया है और एक इंजेक्शन बच गया है।

आरोपी 30 हजार से 50 हजार रुपये के बीच जैसा सौदा बन जाए उतने में इंजेक्शन बेच देते थे। तीनों तीनों आरोपी ग्रेजुएट हैं और इन दिनों मौके का लाभ उठाकर पैसा कमाना चाहते थे। इससे पहला उनका कोई आपराधिक रिकार्ड नहीं है।

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