वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैय्यर का निधन, 1 बजे लोधी घाट में होगा अंतिम संस्कार
- वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैयर का 95 साल की उम्र में निधन
- पीएम मोदी और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने जताया दुख
- सरकार के खिलाफ लेख लिखने के कारण जेल भी गए थे नैयर
वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैयर का निधन दिल्ली के अस्पताल में बुधवार देर रात को हो गया। नैयर 95 वर्ष के थे। उनका अंतिम संस्कार आज एक बजे दिल्ली के लोधी रोड स्थित श्मशान गृह में होगा। बताया जा रहा है कि कुलदीप नैयर बीते तीन दिनों से दिल्ली के एक अस्पताल के आईसीयू में भर्ती थे। काफी समय में से उनकी सेहत बहुत खराब थी। बुधवार की रात करीब साढ़े बारह बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। आज दोपहर एक बजे लोधी रोड पर स्थित घाट में अंतिम संस्कार होगा। आपातकाल के दौरान नैयर को सरकार के खिलाफ लेख लिखने के कारण जेल भी जाना पड़ा था।
Veteran journalist Kuldeep Nayyar passed away last night in a Delhi hospital. He was 95 years old. pic.twitter.com/SSD99EHwRv
— ANI (@ANI) August 23, 2018
वरिष्ठ पत्रकार तथा राजनयिक कुलदीप नैयर के निधन पर संवेदना व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट में कहा, "एमरजेंसी के खिलाफ उनका कड़ा रुख, जनसेवा तथा बेहतर भारत के लिए उनकी प्रतिबद्धता को हमेशा याद रखा जाएगा..." इनके अलावा, केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने भी दुख प्रकट किया।
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कुलदीप नैयर के निधन पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीलाल ने दुख जताया और ट्वीट किया- वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैयर के निधन की बुरी खबर मिली। वह प्रेस की स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए लड़ाई के लिए याद किये जाएंगे। उनके निधन से राष्ट्र को बड़ी हानि हुई है।
पाकिस्तान में हुआ था कुलदीप नैयर का जन्म
कुलदीप नैयर का जन्म 14 अगस्त 1924 को सियालकोट (अब पाकिस्तान) में हुआ था। वो भारत के प्रसिद्ध लेखक एवं पत्रकार थे। उन्होंने भारत सरकार के प्रेस सूचना अधिकारी के पद पर कई वर्षों तक कार्य करने के बाद यूएनआई, पीआईबी, द स्टैट्समैन, इंडियन एक्सप्रेस के साथ लंबे समय तक जुड़े रहे। कुलदीप नैयर 25 सालों तक द टाइम्स लंदन के संवाददाता भी रहे। पत्रकारिता की दुनिया में कुलदीप नैयर पत्रकारिता अवार्ड भी दिया जाता है।
इनकी स्कूली शिक्षा सियालकोट में हुई। कानून की डिग्री लाहौर से प्राप्त की। यूएसए से पत्रकारिता की डिग्री ली। उन्होंने दर्शनशास्त्र में पीएचडी भी की थी। कुलदीप नैयर को आपातकाल (1975-77) के दौरान गिरफ्तार किया गया था। उन्हें 1990 में ब्रिटेन में उच्चायुक्त नियुक्त किया गया। वह एक मानवीय अधिकार कार्यकर्ता और शांति कार्यकर्ता भी रहे हैं। उन्हें रामनाथ गोयनका ऑवार्ड से भी नवाजा गया था। कुलदीप नैयर ने इंडिया आफ्टर नोहरू किताब लिखी थी जो काफी चर्चा में रही।
वह 1996 में संयुक्त राष्ट्र के लिए भारत के प्रतिनिधिमंडल के सदस्य थे। 1990 में उन्हें ग्रेट ब्रिटेन में उच्चायुक्त नियुक्त किया गया था। अगस्त 1997 में राज्यसभा में नामांकित किया गया था।
नैयर ने कई किताबें भी लिखीं और उनकी आत्मकथा भी काफी चर्चित रही थी। उनकी आत्मकथा `बियांड द लाइंस` अंग्रेजी में छपी थी। बाद में उसका हिंदी में अनुवाद, एक जिंदगी काफी नहीं नाम से प्रकाशित हुआ। उन्होंने इसके अतिरिक्त कई किताबें `बिटवीन द लाइं,`, `डिस्टेंट नेवर : ए टेल ऑफ द सब कान्टिनेंट`, ‘इंडिया आफ्टर नेहरू`, ‘वाल एट वाघा, इण्डिया पाकिस्तान रिलेशनशिप`, `इण्डिया हाउस` जैसी कई किताबें भी लिखीं।
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