यूं कर्ज के कुचक्र में फंसते गए Cafe Coffee Day के मालिक वीजी सिद्धार्थ और लेना पड़ा विनाशकारी फैसला

संक्षेप:

  • देश की मशहूर कॉफी चेन कैफे कॉफी डे के मालिक वीजी सिद्धार्थ की आत्महत्या को लेकर तमाम तरह की चर्चाएं हैं.
  • आईएल ऐंड एफएस के डूबने के चलते वे कैश के संकट से जूझ रहे थे.
  • कर्ज के इस संकट से निकलने के लिए सिद्धार्थ अपनी रियल एस्टेट प्रॉपर्टीज को बेचना चाह रहे थे.
  • 29 जुलाई को लापता होने तक वह देश की एक बड़ी संस्था से 1,600 करोड़ रुपये के लोन के लिए कोशिश कर रहे थे.

बेंगलुरु: देश की मशहूर कॉफी चेन कैफे कॉफी डे के मालिक वीजी सिद्धार्थ की आत्महत्या को लेकर तमाम तरह की चर्चाएं हैं, लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर उन्होंने जीवन को खत्म करने का दुर्भाग्यपूर्ण फैसला क्यों लिया. इसकी वजह शायद उनका लगातार कर्ज के कुचक्र में फंसना था. उन्हें अपने बिजनस के लिए बीते एक साल से शॉर्ट टर्म लोन लेने पड़ रहे थे. इसके अलावा आईएल ऐंड एफएस के डूबने के चलते वे कैश के संकट से जूझ रहे थे. इससे उनकी मुसीबतों में एक साथ बड़ा इजाफा हो गया.

कैफे कॉफी डे के फाउंडर सिद्धार्थ के करीबियों का कहना है कि कर्ज के इस संकट से निकलने के लिए वह अपनी रियल एस्टेट प्रॉपर्टीज को बेचना चाह रहे थे, लेकिन इसमें भी सफलता नहीं मिल रही थी. यदि ऐसा होता तो उनके लिए आर्थिक मुश्किलें कुछ कम हो जातीं और उनके पास कुछ कैश आ जाता. 29 जुलाई को लापता होने तक वह देश की एक बड़ी संस्था से 1,600 करोड़ रुपये के लोन के लिए कोशिश कर रहे थे. यदि इसमें भी उन्हें सफलता मिलती तो बड़ी राहत मिल सकती थी.

ये डील्स हो जातीं तो शायद हमारे बीच होते सिद्धार्थ

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माइंडट्री के 20 पर्सेंट शेयरों को बेचने से उन्हें 3,200 करोड़ रुपये मिले थे और इस लोन को हासिल कर वह लिक्विडिटी के संकट से निकल सकते थे. माइंडट्री के अपने शेयरों को लार्सन ऐंड ट्रबो को बेचने से मिली रकम से उन्होंने अपने कुछ खर्च निपटाए थे और टैक्स अदायगी की थी, इसके बाद 2,100 करोड़ रुपये बचे थे. माइंडट्री की डील के बाद सिद्धार्थ 120 एकड़ में बने ग्लोबल टेक विलेज को बेचने की कोशिश में थे, जिससे 2,800 करोड़ रुपये मिल सकते थे. बेंगलुरु की इस प्रॉपर्टी को खरीदने के लिए प्राइवेट इक्विटी कंपनी ब्लैकस्टोन एक स्थानीय डिवेलपर सलारपुरिया सत्वा के साथ रेस में थी.

कोका कोला से चल रही थी हिस्सेदारी बेचने को बात

सिद्धार्थ के सामने कर्ज का संकट इतना गहरा हो गया था कि उन्होंने अपने फ्लैगशिप ब्रैंड सीसीडी के एक बड़े हिस्से को बेचने के लिए कोका कोला से भी बातचीत शुरू की थी. सिद्धार्थ के करीबी एक इन्वेस्टमेंट बैंकर ने कहा, `इन दोनों डील्स पर एक ही समय में काम करना उनके लिए काफी तनावपूर्ण था. यदि बिजनस पार्क बेचने की उनकी डील सफल हो जाती तो उन पर आर्थिक दबाव काफी कम हो जाता.`

एक साल में देना था 3,890 करोड़ का कर्ज

नियमित कर्जों को निपटाने के लिए कैफे कॉफी डे ने शॉर्ट टर्म लोन लेने शुरू कर दिए थे. पिछले साल कंपनी शॉर्ट टर्म लोन 5 गुना बढ़कर 3,890 करोड़ रुपये हो गया था. इन कर्जों को उन्हें 12 महीने में अदा करना था. इसके चलते वह अपने बिजनस की कई एसेट्स को ही बेचने की कोशिश में जुटे थे.

साभार: The Times Of India

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