Exclusive: नोएडा के विनायक ने ज़िन्दगी हार कर भी जीत लिया CBSE 10th का Exam

संक्षेप:

  • 10वीं के एक्जाम के बीच ही विनायक की मौत हो गई थी
  • इंग्लिश में विनायक को 100 में से 100 मार्क्स, हिस्ट्री में 97 और संस्कृत में 96 मार्क्स आए थे
  • पिछले कुछ महीनों से विनायक के हाथ और पैरों का मूवमेंट हो गया था बंद

नोएडा: आज अगर विनायक श्रीधर जिंदा होता तो अपनी रिजल्ट देख कर जरूर खुशी के मारे उछल जाता. हां उसकी मांसपेशियों में भले ताकत नहीं थी, लेकिन हो सकता था सफलता की खुशियों से कुछ चमत्कार हो जाता. अफसोस! अपनी सफलता को देख कर खुश होने और जश्न मनाने के लिए विनायक अब इस दुनिया में नहीं है.

10वीं के एक्जाम के बीच ही विनायक की मौत हो गई थी

सीबीएसई की 10वीं बोर्ड की एक्जाम के बीच में ही 26 मार्च को विनायक की मौत हो गई थी. दरअसल, विनायक जन्म से ही एक गंभीर बीमारी Muscular Dystrophy से जूझ रहा था. इस बीमारी ने विनायक को अपाहिज और लाचार बना कर रख दिया था, उसकी मांसपेशियों की ताकत कमजोर होती जा रही थी और वो सही से न हाथ-पैर हिला पा रहा था और न ही कोई मूवमेंट कर पा रहा था. वो महज तीन पेपर्स का एक्जाम ही दे पाया था और उसकी मौत हो गई.

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3 पेपर में आए 99 फीसदी मार्क्स

सोमवार को जब सीबीएसई 10वीं के रिजल्ट आए तो विनायक के माता पिता ने सोचा कि जरा विनायक का भी रिजल्ट चेक किया जाए. विनायक के रिजल्ट देखकर उसके मम्मी-पापा चौंक गए. इंग्लिश में विनायक को 100 में से 100 मार्क्स, हिस्ट्री में 97 और संस्कृत में 96 मार्क्स आए थे.

पिछले कुछ महीनों से विनायक के हाथ और पैरों का मूवमेंट हो गया था बंद

विनायक की मां ममता श्रीधर से जब Nyoooz संवाददाता ने बातचीत करना चाहा वो काफी उदास थीं. उन्होंने कहा कि मेरा विनायक बचपन से ही इस अजीबोगरीब बीमारी से ग्रसित था. जैसे-जैसे उसकी उम्र बढ़ने लगी उसकी मांसपेशियां और कमजोर होने लगी. हालत इतनी खराब हो गई कि उसके हाथ- पैर भी चलने बंद हो गए थे. लेकिन बीमारी के बावजूद विनायक ने पढ़ाई बंद नहीं की. वो कभी भी घर पर बैठकर नहीं रहना चाहता था. वो हर रोज स्कूल जाता था. हांलांकि, बीमारी की वजह से उसके लिखने की क्षमता काफी कम हो गई थी. एक नॉर्मल स्टूडेंट को जहां एक्जाम के पेपर में 3 घंटे मिलते हैं उसे 4 घंटे दिए जाते थे. पिछले कुछ महीनों से उसे सांसों की बीमारी हो गई थी और वो अपाहिज हो गया था. उसके शरीर के सभी मूवमेंट बंद हो गए थे. उसके बोलने की क्षमता और आवाज भी मंद होने लगे थे.

एक्जाम में पेपर लिखने के लिए स्कूल की ओर से दिए गए थे क्लर्क

10वीं बोर्ड की परीक्षा में हमने स्कूल प्रशासन से जब इस परेशानी के बारे में बताया तो स्कूल की ओर से एक्जाम में उसके पेपर लिखने के लिए एक क्लर्क का इंतजाम किया गया. विनायक हर प्रश्न का उत्तर बोलता था और फिर वो क्लर्क सारे जवाब आंसर शीट में लिखता था. एक्जाम का टाइम खत्म होने से पहले विनायक आंसर शीट को दो बार पढ़ता था और फिर रिवाइज करने के बाद ही एक्जामिनर को सबमिट करता था. विनायक जब तक यह निश्चित नहीं हो जाता था कि उसने जो बोल कर जवाव बताए हैं वो सही-सही आंसर शीट में क्लर्क ने लिखा है, तभी ही वो आंसर शीट सबमिट करता था.

स्कूल में आधे दर्जन से ज्यादा प्राइज जीत चुका था विनायक

विनायक के पिता सीआर श्रीधर ने गमगीन हो हमें बताया कि काश विनायक थोड़े दिन और जिंदा रहता तो अपने रिजल्ट देखकर बहुत खुश होता. क्लास 9 में भी उसने असाधारण रिजल्ट दिए थे. स्कूल में वो 6 प्राइज जीत चुका था. पढ़ाई में वो हमेशा रमा रहता था. कभी भी पढ़ाई से जी नहीं चुराता था. विनायक के स्कूल एमिटी इंटरनेशनल के प्रिंसिपल रेणु सिंह ने बताया कि विनायका हमारे स्कूल का होनहार स्टूडेंट था. वो व्हीलचेयर पर भले स्कूल आता था, लेकिन हमेशा खुशमिजाज रहता था और स्कूल की सभी गतिविधियों में हिस्सा लेता था. दोस्तों के साथ- साथ सभी टीचर्स उससे खुश रहते थे.

क्या है Muscular Dystrophy बीमारी, क्या इसका कोई इलाज है

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉं. ए के अग्रवाल से जब हमने इस बीमारी के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि यह एक जेनेटिक डिसऑर्डर है. इस बीमारी में मांसपेशियों के अंदर प्रोटीन का उत्पादन बंद हो जाता है. प्रोटीन की नहीं बनने से मांसपेशियां कमजोर और टूटने लगती है. इसका कोई स्थायी इलाज अभी नहीं है.

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