Alert: 2030 तक देश के इन शहरों में खत्म हो जाएगा पानी, 11 राज्यों में गंभीर जल संकट

संक्षेप:

  • देश में जल संकट ने विकराल रूप ले लिया है. भविष्य में इसके और गहराने की आशंका है
  • नीति आयोग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2030 तक देश में कई शहरों में पानी खत्म होने की कगार पर आ जायेगा
  • यह जल संकट देश की अर्थव्यवस्था को पूरी तरह बर्बाद कर देगा. इसकी वजह से जीडीपी को छह प्रतिशत का नुकसान होगा

देश में जल संकट ने विकराल रूप ले लिया है. भविष्य में इसके और गहराने की आशंका है. नीति आयोग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2030 तक देश में कई शहरों में पानी खत्म होने की कगार पर आ जायेगा. साथ ही देश की 40 प्रतिशत आबादी के पास पीने का पानी नहीं होगा. इनमें दिल्ली, बेंगलुरु, चेन्नई और हैदराबाद समेत देश के 21 शहर शामिल हैं. बिहार-झारखंड भी इससे बच नहीं पायेंगे.

यह जल संकट देश की अर्थव्यवस्था को पूरी तरह बर्बाद कर देगा. इसकी वजह से जीडीपी को छह प्रतिशत का नुकसान होगा. रिपोर्ट के अनुसार, 2020 से ही पानी की परेशानी शुरू हो जायेगी. यानी कुछ समय बाद ही करीब 10 करोड़ लोग पानी के कारण परेशानी उठायेंगे. 2030 तक देश में पानी की मांग उपलब्ध जल वितरण की दोगुनी हो जायेगी. इसका मतलब है कि करोड़ों लोगों के लिए पानी का गंभीर संकट पैदा हो जायेगा. देश में करीब 60 करोड़ लोग पानी की गंभीर किल्लत का सामना कर रहे हैं. करीब दो लाख लोग स्वच्छ पानी नहीं मिलने के चलते हर साल जान गंवा देते हैं.

बिहार-झारखंड समेत 11 राज्यों की स्थिति चिंताजनक

वाटर एड की रिपोर्ट के मुताबिक बिहार, झारखंड समेत देश के कई राज्यों में औसत से कम बारिश दर्ज की गई है, जबकि कई राज्य सूखे की स्थिति से गुजर रहे हैं यही वजह है कि भू-जल स्तर लगातार नीचे गिरता जा रहा है. रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि 2010 के मुकाबले 2025 में पानी की डिमांड 18.75 प्रतिशत बढ़ेगी. इसके अलावा खेती में 10 फीसदी, पीने के पानी में 44 फीसदी, उर्जा क्षेत्र में 73 फीसदी और उद्योग क्षेत्र में सबसे ज्यादा 80 फीसदी पानी की बढोत्तरी होगी. मंत्रालय के मुताबिक सभी क्षेत्रों के लिए अभी 1137 बिलियन क्यूबिक मीटर पानी सलाना उपलब्ध है. इसमें 427 बिलियन क्यूबिक मीटर पानी अतिरिक्त है. लेकिन अतिरिक्त पानी 2025 में यह पानी एक तिहाई घटकर 294 बिलियन क्यूबिक मीटर पर आ जाएगा.

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2008 से लेकर 2018 के आंकड़ों पर नजर डाले तो दिल्ली के 11 प्रतिशत कुओं में 40 मीटर या उससे अधिक पानी का स्तर नीचे गया है. हर रोज दिल्ली को करीब 450 से 470 करोड़ लीटर पानी चाहिए, लेकिन सप्लाई सिर्फ 75 प्रतिशत ही है. संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2028 तक दिल्ली तोक्यो को पीछे छोड़कर सबसे ज्यादा आबादी वाला शहर बन जायेगा. तब दिल्ली की जनसंख्या 3 करोड़ 72 लाख हो जायेगी. वहीं हरियाणा में 20 प्रतिशत कुओं के पानी का स्तर 40 मीटर तक कम हुआ है. इसके अलावा उत्तर प्रदेश में 12 प्रतिशत कुओं में पानी का स्तर 20 से 40 मीटर और मध्यप्रदेश के 39.4 प्रतिशत कुओं में 10 से 20 मीटर पानी का स्तर कम हुआ है. इसी तरह राजस्थान और पंजाब में भी 20 से 40 मीटर पानी घटा है, जो कि देश के लिए चिंता का विषय है.

2030 तक अभी से दोगुनी हो जाएगी पानी की मांग

नीति आयोग ने पिछले साल पानी पर जारी रिपोर्ट में कहा था कि देश में करीब 60 करोड़ लोग पानी की गंभीर किल्लत का सामना कर रहे हैं. 2030 तक देश में पानी की मांग उपलब्ध जल वितरण की दोगुनी हो जाएगी और देश की जीडीपी में छह प्रतिशत की कमी देखी जाएगी. देश में करीब 60 करोड़ लोग पानी की गंभीर किल्लत का सामना कर रहे हैं. करीब दो लाख लोग स्वच्छ पानी न मिलने के चलते हर साल जान गंवा देते हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है, 2030 तक देश में पानी की मांग उपलब्ध जल वितरण की दोगुनी हो जाएगी। जिसका मतलब है कि करोड़ों लोगों के लिए पानी का गंभीर संकट पैदा हो जाएगा और देश की जीडीपी में छह प्रतिशत की कमी देखी जाएगी. कुछ स्वतंत्र संस्थाओं द्वारा जुटाए डाटा का उदाहरण देते हुए रिपोर्ट में दर्शाया गया था कि करीब 70 प्रतिशत प्रदूषित पानी के साथ भारत जल गुणवत्ता सूचकांक में 122 देशों में 120वें पायदान पर है।

450 नदियों को जोड़ने का सुझाव

जल संकट से निपटने के लिए नीति आयोग ने करीब 450 नदियों को आपस में जोड़ने का एक विस्तृत प्रस्ताव तैयार किया है. बरसात में या उसके बाद बहुत-सी नदियों का पानी समुद्र में जा गिरता है. समय रहते इस पानी को उन नदियों में ले जाया जाये, तो स्थिति बेहतर होगी. दरअसल अक्टूबर 2002 में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने सूखे व बाढ़ की समस्या से निपटने के लिए भारत की महत्वपूर्ण नदियों को जोड़ने संबंधी परियोजना का खाका तैयार किया था. हिमालयी हिस्से के तहत गंगा, ब्रह्मपुत्र और इनकी सहायक नदियों के पानी को इकट्ठा करने की योजना बनाई गई. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पहले कार्यकाल में गंगा समेत देश की 60 नदियों को जोड़ने की योजना को मंजूरी दी थी.

इसका फायदा यह होगा कि किसानों की मानसून पर निर्भरता कम हो जाएगी. पानी के अभाव में खराब हो रही लाखों हेक्टेयर जमीन पर सिंचाई हो सकेगी. नदियों को जोड़ने से हजारों मेगावॉट बिजली भी पैदा होगी. ज्यादा पानी वाली नदियों मसलन गंगा, गोदावरी और महानदी को दूसरी नदियों से जोड़ा जाएगा. इसके लिए इन नदियों पर डैम बनाए जाएंगे. बाढ़-सूखे पर काबू पाने के लिए यही एकमात्र रास्ता बताया गया है.

NYOOOZ करता है आपसे जल बचाने की अपील

भविष्य में होनेवाले जल संकट के मद्देनजर पाठकों से NYOOOZ अपील करता है कि पानी बचाने के लिए प्रयास करें. पानी के संरक्षण के लिए वाटर हार्वेस्टिंग, तालाबों की रक्षा जैसे उपाय अपनाये जा सकते हैं.

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