ये 5 नाम है कांग्रेस अध्यक्ष पद की रेस में सबसे आगे, एक हफ्ते के अंदर पार्टी करेगी तय

संक्षेप:

  • राहुल गांधी ने ओपन लेटर जारी कर कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है.
  • सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) ने अध्यक्ष पद पर संभावित नाम फाइनल कर लिए हैं.
  • कांग्रेस के नए अध्यक्ष के लिए कई वरिष्ठ नेताओं का नाम चर्चा में है.

नई दिल्ली: लंबे समय से कांग्रेस अध्यक्ष पद को लेकर लगाए जा रहे अलग-अलग कयासों पर अब विराम लगने का समय आ गया है. राहुल गांधी ने ओपन लेटर जारी कर कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) ने अध्यक्ष पद पर संभावित नाम फाइनल कर लिए हैं. कांग्रेस के नए अध्यक्ष के लिए कई वरिष्ठ नेताओं का नाम चर्चा में है. इनमें से राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का नाम सबसे आगे बताया जा रहा है.

अशोक गहलोत रेस में चल रहे हैं सबसे आगे

कांग्रेस सूत्रों के अनुसार, नए अध्यक्ष की रेस में सुशील कुमार शिंदे, मल्लिकार्जुन खड़गे, पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह, अशोक गहलोत और सचिन पायलट का नाम भी विचार किया जा रहा है. सूत्रों की मानें, तो संगठन के साथ काम करने के अनुभव के आधार पर पार्टी ने अशोक गहलोत के नाम पर मोहर लगाने का मन बना लिया है. अब औपचारिक ऐलान होना बाकी है. हालांकि, अभी तक यह साफ नहीं हो सका है कि अशोक गहलोत अकेले कांग्रेस अध्यक्ष होंगे या उनकी मदद के लिए कई कार्यकारी अध्यक्ष भी बनाए जाएंगे. वैसे कांग्रेस के कई नेताओं ने इस बात के संकेत दे दिए हैं कि अगला अध्यक्ष गांधी परिवार से नहीं होगा.

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वंशवाद पर उठते रहे हैं सवाल

गौरतलब है कि मोदी सरकार हमेशा से कांग्रेस को वंशवाद के मुद्दे पर घेरा है और चुनावों में इसका फायदा भी उसे मिलता रहा है. ऐसे में राहुल गांधी चाहते हैं कि इस बार पार्टी का अध्यक्ष गांधी परिवार से न हो जिससे यह मुद्दा हमेशा के लिए खत्म हो जाए.

क्या करेंगे राहुल गांधी

राहुल की जिद के आगे झुके कांग्रेस नेताओं ने यह बीच का रास्ता निकाला है, जिसमें राहुल गांधी की बात भी रह जाए और कांग्रेस का अध्यक्ष पद भी खाली न रहे. राहुल बिना किसी जवाबदेही के देशभर में घूमकर कांग्रेस कार्यकर्ताओं से मिलकर संवाद कर सकते हैं. वह बिना पद के मोदी सरकार की गलत नीतियों के खिलाफ खुल कर आलोचना कर सकेंगे. पद नहीं रहने पर सत्ता पक्ष के निशाने पर कांग्रेस अध्यक्ष होंगे न कि राहुल गांधी. इस प्रयोग के साथ राहुल गांधी उन राज्यों को ज्यादा समय दे सकेंगे जहां कांग्रेस जमीनी स्तर पर अपना वर्चस्व खो चुकी है.

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