बिहार पंचायत चुनाव से पहले अध्यादेश के माध्यम से संशोधन की तैयारी

संक्षेप:

  • पंचायती राज अधिनियम 2006 में संशोधन की तैयारी।
  • पंचायतों के निर्वाचित प्रतिनिधि का कार्यालय 15 जून तक का।
  • अफसर द्वारा योजनाओं का क्रियान्वयन।

पटना। बिहार में पंचायत चुनाव से पहले नीतीश कुमार सरकार पंचायती राज अधिनियम 2006 में अध्यादेश के माध्यम से संशोधन की तैयारी कर रही है। दरअसल 2016 में 28 फरवरी को जारी हुई थी अधिसूचना वर्ष 2016 में हुए ग्राम पंचायत चुनाव में 28 फरवरी को अधिसूचना जारी हुई थी। पहले चरण के चुनाव के लिए दो मार्च को अभ्यर्थियों का नामांकन शुरू हो गया था। पर, इस बार अब तक चुनाव की तिथि को लेकर कोई अंतिम निर्णय नहीं हो सका है। इसको देखते हुए अफसरों को जिम्मेदारी देने का प्रावधान किया जा रहा है। यदि ग्राम पंचायत के चुनाव अगर समय पर नहीं हुए तो पंचायतें अवक्रमित होंगी। इसके बाद पंचायती राज व्यवस्था के तहत होने वाले कार्य अफसरों के जिम्मे होंगे। जब तक नवनिर्वाचित प्रतिनिधियों का शपथ ग्रहण नहीं हो जाता, तब-तक अफसर ही योजनाओं का क्रियान्वयन कराएंगे।  

पंचायतों के निर्वाचित प्रतिनिधि का कार्यालय 15 जून तक का ही 

रिपोर्ट के मुताबिक 15 जून तक पंचायतों के निर्वाचित प्रतिनिधियों का कार्यकाल है। इसके पहले नया निर्वाचन नहीं होने की स्थिति में मुखिया-प्रमुख आदि के अधिकार छिन जाएंगे। अफसरों को उनकी जिम्मेदारियां दी जाएंगी। पंचायती राज अधिनियम में इसका प्रावधान नहीं किया गया है कि चुनाव समय पर नहीं होंगे तो त्रि-स्तरीय व्यवस्था के तहत होने वाले कार्य किनके माध्यम से संपन्न कराए जाएंगे, इसलिए अधिनियम में संशोधन किया जाना अनिवार्य होगा।

ये भी पढ़े : राम दरबार: 350 मुस्लिमों की आंखों में गरिमयी आंसू और जुबां पर श्री राम का नाम


अधिनियम में संशोधन करने के बाद इससे संबंधित दिशा-निर्देश जिलों को जारी कर दिये जाएंगे। पंचायती राज का कार्य जिलाधिकारियों के माध्यम से अधीनस्थ पदाधिकारियों को दिये जाएंगे। वार्ड, ग्राम पंचायत और पंचायत समिति के तहत होने वाले कार्य प्रखंड विकास पदाधिकारी द्वारा कराए जाएंगे। वहीं जिला परिषद के माध्यम से होने वाले कार्य को उप विकास आयुक्त कराएंगे। उन्हीं के पास सारे अधिकार होंगे। चूंकि अभी विधानमंडल का सत्र नहीं चल रहा है, इसलिए अध्यादेश के माध्यम से अधिनियम में संशोधन किया जाएगा। बाद में विधानमंडल सत्र से भी इसे पारित कराया जाएगा। 

 

 

 

 

 

If You Like This Story, Support NYOOOZ

NYOOOZ SUPPORTER

NYOOOZ FRIEND

Your support to NYOOOZ will help us to continue create and publish news for and from smaller cities, which also need equal voice as much as citizens living in bigger cities have through mainstream media organizations.

Related Articles