बिहार में NOTA का भी रहा जलवा, 40 लोकसभा सीटों में से एक तिहाई पर बना तीसरा सबसे पंसदीदा विकल्प

संक्षेप:

  • बिहार के 40 लोकसभा क्षेत्रों में से एक तिहाई पर लोकसभा चुनाव 2019 में मतदाताओं के लिए नोटा तीसरे सबसे पंसदीदा विकल्प के रूप में सामने आया है.
  • चुनाव आयोग द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक लोकसभा चुनाव 2019 में बिहार के सभी 40 लोकसभा क्षेत्रों में से एक तिहाई में मतदाताओं के लिए नोटा तीसरा सबसे पसंदीदा विकल्प बनकर उभरा है
  • जो कि कुल वैध मतों का दो प्रतिशत है.

बिहार के 40 लोकसभा क्षेत्रों में से एक तिहाई पर लोकसभा चुनाव 2019 में मतदाताओं के लिए नोटा तीसरे सबसे पंसदीदा विकल्प के रूप में सामने आया है. चुनाव आयोग द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक लोकसभा चुनाव 2019 में बिहार के सभी 40 लोकसभा क्षेत्रों में से एक तिहाई में मतदाताओं के लिए नोटा तीसरा सबसे पसंदीदा विकल्प बनकर उभरा है जो कि कुल वैध मतों का दो प्रतिशत है. विशेष रूप से नोटा का उपयोग लोगों द्वारा बिहार की तीन आरक्षित सीटों जहां विधानसभा क्षेत्रों की कुल संख्या छह हैं, अधिक किया गया है. बिहार के अररिया और कटिहार लोकसाभा सीटें, जहां मुस्लिम मतदाताओं की एक बड़ी संख्या है और इन सीटों से अल्पसंख्यक समुदाय के सांसदों को एनडीए उम्मीदवारों के हाथों इस बार पराजय झेलनी पड़ी है, वहां भी नोटा के प्रति लोगों का रूझान पाया गया है.

अररिया में 20,618 और कटिहार में 20,584 मतदाताओं ने नोटा को विकल्प के रूप में चुना. गोपालगंज में सबसे ज्यादा 51,660 मतदाताओं ने नोटा का विकल्प चुना. यह सीट जेडीयू के अजय कुमार सुमन को मिली जिन्होंने आरजेडी के सुरेंद्र राम को 2.86 लाख मतों से हराया.

ये भी पढ़े : राम दरबार: 350 मुस्लिमों की आंखों में गरिमयी आंसू और जुबां पर श्री राम का नाम


If You Like This Story, Support NYOOOZ

NYOOOZ SUPPORTER

NYOOOZ FRIEND

Your support to NYOOOZ will help us to continue create and publish news for and from smaller cities, which also need equal voice as much as citizens living in bigger cities have through mainstream media organizations.

Related Articles