लोकसभा चुनाव में करारी हार पर सुशील मोदी का तंज- `अपने बहू बेटी को भी नहीं जिता सके लालू-मुलायम`

संक्षेप:

  • लालू की बेटी मीसा भारती पाटलिपुत्र से बीजेपी उम्मीदवार रामकृपाल यादव से हार गईं
  • वहीं दूसरी तरफ मुलायम सिंह की बहू डिंपल यादव को कन्नौज से चुनावी जंग में शिकस्त हासिल हुई
  • बता दें कि मीसा भारती लगातार दूसरी बार पाटलिपुत्र से चुनावी मैदान में रामकृपाल यादव के सामने थी 

बिहार के उपमुख्यमंत्री और बीजेपी नेता सुशील कुमार मोदी ने आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता मुलायम सिंह यादव पर तंज कसते हुए कहा है कि दोनों नेता चुनावों में अपने बेटी और बहू को भी जीत नहीं दिला पाए.

लालू की बेटी मीसा भारती पाटलिपुत्र से बीजेपी उम्मीदवार रामकृपाल यादव से हार गईं ,वहीं दूसरी तरफ मुलायम सिंह की बहू डिंपल यादव को कन्नौज से चुनावी जंग में शिकस्त हासिल हुई. बता दें कि मीसा भारती लगातार दूसरी बार पाटलिपुत्र से चुनावी मैदान में रामकृपाल यादव के सामने थी मगर उन्हें दूसरी बार भी हार का मुंह देखना पड़ा. दिलचस्प बात यह है कि पाटलिपुत्र से मीसा की जीत को सुनिश्चित करने के लिए लालू कुनबे ने अपनी पूरी ताकत और मशीनरी लगा रखी थी, मगर इसके बावजूद मीसा भारती चुनाव हार गई.
मोदी ने कहा कि 2019 का जनादेश ने यह साफ और कठोर संदेश दे दिया है कि लोकतंत्र में ना कोई समुदाय किसी का बंधुआ वोटर है और ना अब थेथरोलॉजी से जनता को गुमराह किया जा सकता है. गौरतलब है, मोदी का इशारा बिहार और उत्तर प्रदेश के `यादव` जाति के तरफ है. मोदी के अनुसार, लालू और मुलायम इस समुदाय को अपना बंधुआ मजदूर समझते हैं और वोट बैंक मानते हैं.

मोदी ने कहा कि `यादव` समुदाय के 5 लोग- नित्यानंद राय, रामकृपाल यादव, अशोक यादव, दिनेश चंद्र यादव और गिरधारी यादव इस बार एनडीए के टिकट पर बिहार में चुनाव जीते हैं, जबकि आरजेडी अपना खाता भी नहीं खोल पाई है. मोदी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव की बहू डिंपल यादव और अन्य परिवार के सदस्य चुनाव हार गए जो साफ तौर पर इशारा करता है कि लोगों ने इस बार जाति की दीवार तोड़कर विकास के नाम पर वोट किया है.

ये भी पढ़े : राम दरबार: 350 मुस्लिमों की आंखों में गरिमयी आंसू और जुबां पर श्री राम का नाम


If You Like This Story, Support NYOOOZ

NYOOOZ SUPPORTER

NYOOOZ FRIEND

Your support to NYOOOZ will help us to continue create and publish news for and from smaller cities, which also need equal voice as much as citizens living in bigger cities have through mainstream media organizations.

Related Articles