पलायन रोकने 19 हजार 664 काम स्वीकृत किए, 70 हजार से ज्यादा लोगों को मनरेगा में जोड़ने का लक्ष्य

संक्षेप:

खरीफ फसल की कटाई होने के बाद जिले से बड़ी संख्या में पलायन होता है। इस बार मनरेगा से जोड़ श्रमिकों को यहीं रोकने के लिए प्रशासन और जिला पंचायत ताकत लगा रहे हैं।

20 दिनों से ज्यादा चली पंचायत सचिव और रोजगार सहायक की हड़ताल के कारण पंचायतों में मनरेगा के काम प्रभावित हुए लेकिन अब एक हफ्ते में ही 31 हजार से अधिक ग्रामीण मजदूरों को काम पर लगाया गया है।

इस वर्ष जिले के ग्रामीण पलायन ना करें और पंचायतों में ही उन्हें काम मिले। इसके लिए कलेक्टर ने 70 हजार से ज्यादा लोगों को मनरेगा में जोड़ने टारगेट दिया है। मनरेगा में जनवरी से मार्च तक सबसे ज्यादा मजदूर जुड़ते हैं। इसलिए अब मनरेगा के कार्य स्वीकृत किए जा रहे हैं, अभी तक 19 हजार 664 काम स्वीकृति दी जा चुकी है। हर हफ्ते 600-700 काम स्वीकृत किए जा रहे हैं। पिछले वर्ष तक इस समय में 50 हजार से अधिक ग्रामीण जुड़ जाते थे, लेकिन इस बार हड़ताल के कारण रफ्तार धीमी हुई है।

4 हजार 988 मस्टर रोल को बनाया जा चुका है, लेकिन इसमें अभी 2718 मस्टर रोल पर ही काम हो रहा है। मस्टर रोल के अनुपात में काम में तेजी आए इसके लिए शनिवार को हर जनपद में बैठक रखी गई थी। अगले हफ्ते से हर पंचायतों में ग्रामीणों को रोजगार गांरटी काम जोड़ा जाएगा।

हफ्तेभर में 31 हजार ग्रामीणों को मिला काम

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मनरेगा के प्रभारी परियोजना अधिकारी आशुतोष श्रीवास्तव बताते हैं कि हफ्ते भर के भीतर में 31 हजार ग्रामीण रोजगार गारंटी से जुड़े हैं। इस हफ्ते से इसकी रफ्तार और बढ़ जाएगी। पिछले साल लॉकडाउन के दौरान बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर अपने गांव लौटे थे, इसलिए संख्या 1 लाख से पार हो गई थी।

वन अधिकार पट्‌टे से जुड़े काम ज्यादा होंगे

कलेक्टर भीम सिंह ने मनरेगा से जुड़े काम में इस बार एफआरए (वन अधिकार पट्टे) में डबरी, तालाब, गाय और बकरी कोठा, डेयरी जैसे काम को प्राथमिकता देने के लिए कहा है। 1150 से ज्यादा ऐसे काम शामिल किए गए हैं। इससे पहले यहां 577 कार्य स्वीकृति दी गई थी। फरवरी से अब तालाब गहरीकरण के कार्यों को भी स्वीकृति दी जाएगी।

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