CSIDC से सरकार को हो रहा करीब 300 करोड़ का नुकसान, सरकारी सम्पति पर डाल रहा पर्दा

संक्षेप:

  • छत्तीसगढ़ स्टेट इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कारपोरेशन (CSIDS) खुद की जमीन बचाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है.
  • लोग मनमानी तरीके से उस जगह को यात्री अपने कब्जे में लेते जा रहे हैं या फिर अवैध कब्जों से कई हिस्से घेरे जा चुके हैं.
  • इसके पीछे सीएसआईडीसी के अमले का बड़ा हाथ बताया जा रहा है.

रायपुर: छत्तीसगढ़ स्टेट इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कारपोरेशन (CSIDS) खुद की जमीन बचाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है। लोग मनमानी तरीके से उस जगह को यात्री अपने कब्जे में लेते जा रहे हैं या फिर अवैध कब्जों से कई हिस्से घेरे जा चुके हैं। इसके पीछे सीएसआईडीसी के अमले का बड़ा हाथ बताया जा रहा है। क्योंकि इन इकाइयों के प्लांट के सामने आधा एकड़ से 20 हजार वर्गफीट तक टुकड़ों में जगह बच जाती है, उसका न तो चिह्नांकन किया जाता है, न ही कब्जे से बचाने की दिशा में ठोस कदम उठाया गया है।

कार्पोरेशन के सूत्रों के अनुसार करीब 300 करोड़ रुपए कीमती जगह मुख्य रूप से उरकुरा, सिलतरा, सोनडोंगरी, गोंदवारा जैसे औद्योगिक क्षेत्र में है, जिसका न तो आवंटन किया गया है, न ही सर्वे कराकर उस जमीन का चिह्नांकन किया गया है। चौंकाने वाली बात यह है कि इन क्षेत्रों में औद्योगिक इकाई लगाने के लिए जमीन का आवंटन सीएसआईडीसी करता है, उसके आधिपत्य की जमीन लेने के लिए इकाइयों के संचालक आवेदन करत है, जो रकबा 8 से 10 एकड़ का होता है, उसमें किसी को आठ एकड़ तो किसी पांच से छह एकउ़ आवंटित कर दिया जाता है। बाकी बची हुई जमीन को या तो मिलीभगत कर कब्जा कराने का खेल किया जाता है। दूसरी बात यह भी सामने आई है कि यदि औद्योगिक इकाई आवंटित जमीन का बाउंड्री कराकर बची हुइ्र जमीन को छोड़ देते हैं तो आसपास के रहवासी क्षेत्र के लोग उस जमीन पर अवैध कब्जा कर झोपड़ी तान चुके हैं, जिसके खाली कराने में अमले को पसीना छूटता है।

टुकड़ों में हो चुका है बेजा कब्जा

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सिलतरा, उरकुरा क्षेत्र के कई इकाइयों ने पत्रिका से चर्चा करते हुए यह खुलासा किया गया कि 500 वर्गफीट से लेकर 20 हजार वर्गफीट जो आवंटन के बाद टुकड़ों में बची हुई थी, वह जमीन मिलीभगत की भेंट चढ़ चुकी है। इस तरह करीब दो सौ से तीन सौ करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान राज्य शासन के उद्योग विभाग को हो रहा है। क्योंकि इकाइयों को आवंटित करने के बाद टुकड़ों में बचे हुए रकबा का सीएसआईडीसी के अधिकारी न तो संबंधित इकाइयों से मुक्त कराने में दिलचस्पी दिखाते है, न ही वर्तमान दर पर उनसे उस जमीन की कीमत वसूल कर रहे हैं।

25 से 30 आवेदन पेंडिंग में डाल दिए

सीएसआईडीसी के मुताबिक छोटे-छोटे टुकड़ों में बची जमीन लेने वाली कई इकाइयों के आवेदनों को पेंडिंग में डाल दिया गया है। ऐसे 25 से 30 इकाइयों ने कई वर्षों से आवेदन दे रखा है, जिनके आवेदनों का निराकरण नहीं किया जा रहा है। दूसरी तरफ अमले की मिलीभगत से जिन लोगों ने अपने-अपने इकाइयों के सामने टुकड़ों में बची हुई जमीन को कब्जा चुके हैं, उसे खाली कराने के बजाय जिम्मेदार उस पर पर्दा डालने में भी नहीं हिचकिचा रहे हैं।

पिछले 10 वर्षों से सर्वे तक नहीं कराया

सिलतरा, उरकुरा, सोनडोंंगरी, गोंदवारा तथा तिल्दा के करीब सीएसआईडीसी की जमीन है, जिसे इकाइयों को आवंटित किया जाता है। विभाग के अनुसार करीब 200 इकाइयों को आवंटन करने के बाद टुकड़ों में बची हुई जमीन का पिछले 10 वर्षों से सर्वे नहीं कराया। विभागीय फाइल में ही बचे हुए रकबे को संजोकर रखा गया है। मैदानी स्तर पर इन जगहों में आवंटन रकबा के अलावा बचे हुए रकबा नंबरों का चिह्नांकन मिलीभगत के भेंट चढ़ता जा रहा है।

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