कम धान खरीद से राज्य सरकार पर आर्थिक बोझ पड़ेगा- बघेल सरकार

संक्षेप:

  • छत्तीसगढ़ में धान खरीद को लेकर सियासत जारी
  • केंद्र सरकार 24 लाख मीट्रिक टन चावल लेने पर राज़ी हो गई है
  • राज्य सरकार इससे संतुष्ट नहीं है

रायपुर। छत्तीसगढ़ में धान खरीद को लेकर सियासत जारी है। केंद्र सरकार 24 लाख मीट्रिक टन चावल लेने पर राज़ी हो गई है लेकिन राज्य सरकार इससे संतुष्ट नहीं है। सरकार की मांग है कि केंद्र 32 लाख मीट्रिक टन चावल ले ताकि धान खरीद का आर्थिक बोझ राज्य पर न पड़े।

वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने शुक्रवार को राजीव भवन में पत्रकारों से चर्चा में कहा कि हम अब भी केंद्र सरकार से 32 लाख मीट्रिक टन चावल लेने की मांग करेंगे। धान खरीदी से राज्य सरकार को कोई आर्थिक फायदा नहीं होता है। राज्य सरकार केंद्र के एजेंट के रूप में धान की खरीद करती है।

अकबर ने कहा कि केंद्र सरकार कांग्रेस के दबाव में आकर चावल लेने का फैसला किया है। कांग्रेस ने लाखों किसानों के पत्र को राज्यपाल को सौंपा। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और खाद्य मंत्री ने पीएमओ से लेकर केंद्र सरकार के मंत्रियों से मुलाकात की और खरीदी करने का दबाव बनाया। सेंट्रल पूल के चावल खरीदी मामले में एक बार फिर से भारतीय जनता पार्टी का किसान विरोधी चरित्र उजागर हुआ है।

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प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि केंद्र सरकार ने शर्त के साथ खरीदी पर सहमति दी है। मोदी सरकार यह 24 लाख टन चावल छत्तीसगढ़ सरकार से तभी लेगी, जब वह किसानों को धान पर समर्थन मूल्य के अलावा किसी भी प्रकार के बोनस का भुगतान नहीं करेगी।

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार द्वारा भेजा गया यह पत्र इस बात का पुख्ता प्रमाण है कि भाजपा किसी भी हालत में किसानों का फायदा नहीं होने देना चाहती। जब राज्य सरकार समर्थन मूल्य के अतिरिक्त दिये जाने वाले राशि का भुगतान अपने संसाधनों से करना चाहती है तो इसमें अडंगेबाजी क्यों? छत्तीसगढ़ की मार्टी पर बने एफसीआई के गोदाम में राज्य का चावल नहीं रखने दिया जा रहा है।

रायपुर से बीजोपी सांसद सुनील सोनी ने कहा कि केंद्र सरकार ने सेंट्रल पूल में चावल खरीदने का निर्णय लेकर छत्तीसगढ़ के प्रति संवेदनशील दृष्टिकोण का परिचय दिया है। लेकिन प्रदेश सरकार अब इसमें भी मीन-मेख निकालने की अपनी दुराग्रही प्रवृत्ति का परिचय देकर किसानों के साथ छलावा कर रही है।

 

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