देश का पहला अधिवेशन बताकर रायपुर विवि ने फूंके 60 लाख रुपए, छात्रों को नहीं मिला लाभ!

संक्षेप:

  • पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग की ओर से कराए इंडियन इकोनॉमिक एसोसिएशन के वार्षिक अधिवेशन में करीब 60 लाख रुपये से अधिक फूंके गए.
  • विवि ने दावा किया था कि हजारों की संख्या में यहां के छात्र-छात्राओं को इसका फायदा होगा.
  • लेकिन तीन दिन तक चले इस कार्यक्रम के लिए छात्रों की भीड़ ही नहीं जुट पाई.

रायपुर: पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग की ओर से कराए इंडियन इकोनॉमिक एसोसिएशन के वार्षिक अधिवेशन में करीब 60 लाख रुपये से अधिक फूंके दिए। विवि ने दावा किया था कि हजारों की संख्या में यहां के छात्र-छात्राओं को इसका फायदा होगा। लेकिन तीन दिन तक चले इस कार्यक्रम के लिए छात्रों की भीड़ ही नहीं जुट पाई। सिर्फ पहले दिन कुछ समय के लिए उपराष्ट्रपति एम वेकैंया नायडू को सुनने के लिए लोग पहुंचे वहीं बाकी दिन आधे से अधिक हॉल खाली रहा। दूसरे दिन तो अंगुलियों में गिनने के लायक ही विद्यार्थी यहां नजर आए । ऐसे में विवि ने लाखों रुपये बर्बाद कर दिए। बता दें कि इसके लिए विवि ने न सिर्फ अपने मद से बल्कि राज्य सरकार से भी फंड से राशि खर्च कराई है।

बताया था इकलौता और देश में हो रहे दो कार्यक्रम

कार्यक्रम के संयोजक डॉ. आरके ब्रम्हे ने बाकायदा पत्रकार वार्ता में कहा था कि यह देश का इकलौता कार्यक्रम हैं। देश में एक जगह पर यह कार्यक्रम होता है पर यहां मौके पर पहुंचे कुछ प्रतिभागियों ने कुछ अलग ही विवाद छेड़ दिया। बाहर से आए प्रतिभागियों ने बताया कि इंडियन इकोनॉमिक एसोसिएशन का कार्यक्रम गुजरात से आरो यूनिवर्सिटी में भी चल रहा है। अब सवाल उठ रहे हैं कि विवि जिसे इकलौता कार्यक्रम बताकर लाखों रुपये फूंका है उसके पीछे का रहस्य क्या है ? बहरहाल यह जांच का विषय है पर प्रतिभागियों की ओर से दी गई वहां के कार्यक्रम की फोटोग्राफ्स में भी इंडियन इकोनॉमिक एसोसिएशन का 102वां अधिवेशन का पोस्टर लगाया गया है।

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दो कार्यक्रम पर कुलपति ने कहा- मुझे जानकारी नहीं

एक ही संगठन का देश के दो जगह पर कार्यक्रम होने के मामले में नईदुनिया ने जब कुलपति डॉ. केशरीलाल वर्मा से जानकारी ली तो उन्होंने कुछ भी जानकारी होने से इंकार कर दिया। तीन दिन तक हॉल खाली रहने के मामले में कुलपति ने तर्क दिया कि अलग-अलग जगहों पर शोधपत्र पढ़े जा रहे थे इसलिए छात्र कम दिखे। अब सवाल यह है कि अलग-अलग जगहों पर क्या सिर्फ पढ़ने वाले ही प्रतिभागी रहे तो फिर कार्यक्रम किसके लिए रखा गया था। बहरहाल विवि का यह कार्यक्रम सन्नाटे में ही गुजरता दिखा। साथ ही समापन समारोह के बाद दो जगहों पर हुए कार्यक्रम की खबर ने एक नया विवाद भी छेड़ दिया है।

 

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