सरकेगुडा फ़र्ज़ी एनकाउंटर: सुरक्षा बलों पर चलेगा देश का सबसे बड़ा मुकदमा?

संक्षेप:

  • सारकेगुड़ा गांव में हुई 2012 की मुठभेड़ पर रिपोर्ट आने के बाद सियासत गरमाती जा रही है
  • क्या इतनी बड़ी लापरवाही के लिए सुरक्षा बल पर मुक़दमा चलेगा
  • कांग्रेस नेता राज्यपाल और मुख्यमंत्री से मिले है और उन्होंने जांच आयोग की रिपोर्ट पर कार्रवाई की मांग की है

रायपुर: जस्टिस वीके अग्रवाल की अध्यक्षता में न्यायिक आयोग की बीजापुर जिले के सारकेगुड़ा गांव में हुई 2012 की मुठभेड़ पर रिपोर्ट आने के बाद सियासत गरमाती जा रही है। रिपोर्ट में मुठभेड़ को फर्जी बताया गया है। नक्सलियों के साथ फर्जी मुठभेड़ में 17 ग्रामीण मारे गए थे जिनमे 7 नाबालिग थे। अब सवाल ये है कि क्या इतनी बड़ी लापरवाही के लिए सुरक्षा बल पर मुक़दमा चलेगा?

इस मामले में कांग्रेस नेता राज्यपाल और मुख्यमंत्री से मिले है और उन्होंने जांच आयोग की रिपोर्ट पर कार्रवाई की मांग की है। उधर प्रदेश सरकार ने भी सख्ती का संकेत दिया है। सारकेगुड़ा फर्जी मुठभेड़ की घटना में शामिल केंद्रीय रिजर्व सुरक्षा बल और छत्तीसगढ़ पुलिस के 190 से अधिक जवानों और अफसरों पर मुकदमा दर्ज हो सकता है। विधि विभाग के अधिकारी रिपोर्ट का अध्ययन कर रहे हैं।

न्यायिक जांच रिपोर्ट में पुलिस द्वारा की गई घटना की जांच में फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद कुछ पुलिस अफसरों और सुरक्षा बलों के लिए मार्गदर्शक की भूमिका निभाने वाले जवान भी कार्रवाई की चपेट में आ सकते हैं।

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ग़ौरतलब है कि 28 जून 2012 की रात बीजापुर जिले के बासागुड़ा थाना क्षेत्र के सारकेगुड़ा में तीन गांवों के ग्रामीणों की बैठक में गश्त पर निकली फोर्स ने गोलीबारी की थी जिसमें सात नाबालिग बच्चों सहित 17 ग्रामीण मारे गए थे।

विदित हो कि इस मामले में सर्व आदिवासी समाज ने भी न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट पर कार्रवाई करने की मांग करते हुए गोलीबारी में शामिल अफसर और जवानों पर हत्या का मुकदमा दर्ज करने की मांग की है।

सारकेगुड़ा कांड को फोर्स ने नक्सलियों के साथ मुठभेड़ बताया था। मारे गए ग्रामीणों को नक्सली बताया गया था। विशेष न्यायिक जांच आयोग ने 78 पेज की अपनी रिपोर्ट में मुठभेड़ को फर्जी करार देते ग्रामीणों की मौत के लिए फोर्स की अकारण गोलीबारी को वजह बताया है।

उल्लेखनीय है कि इस घटना में दो घायल ग्रामीणों को नक्सली बताकर पुलिस ने जेल भेजा था जिन्हें जगदलपुर में स्थापित एनआइए की विशेष अदालत दो साल पहले ही बरी कर चुकी है।

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