video : शिक्षक बनने का एक ऐसा जुनून.. मां प्रसव के 2 दिन बाद नवजात के साथ पहुंंची परीक्षा देने

प्रेमदास वैष्‍णव/उदयपुर. राजस्थान में 2nd ग्रेड शिक्षक परीक्षा के दौरान एक रोचक और जूनून भरा किस्सा लेकसिटी उदयपुर के एक परीक्षा केंद्र पर देखने को मिला ! शिक्षक बनने का एक ऐसा जुनून जिसमे एक मां प्रसव के महज 2 दिन बाद अपने नवजात बच्चे के साथ सेकंड ग्रैड परीक्षा देने के लिये केंद्र पर पहुंच गई ! इस स्थिति को देखकर केंद्राधीक्षक,अन्य अधिकारी और परीक्षार्थी भी अचंंभित हो गए ! पूरा मामला शिक्षक परीक्षा केंद्र उदयपुर के पनारियो की मादड़ी स्थित राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय का है ! जहां सराड़ा निवासी नाजमीन बानो खान अपने नवजात बच्चे के साथ अस्पताल से सीधे परीक्षा देने केंद्र पर पहुंच गई ! इस हालत में अपने नवजात के साथ परीक्षा देने पहुची नाजमीन के बच्चे की देखभाल के लिए परीक्षा संचालन से जुड़े अधिकारियों ने परीक्षा हॉल के सामने उसके नाना-नानी के साथ एम्बुलेंस में विशेष व्यवस्था में बैठाया ! लेकिन परीक्षार्थी नाजमीन के लिए मां की ममता का इम्तिहान भी साथ साथ चल रहा था ! इस दौरान मां नाजमीन ने परीक्षा के दौरान अपने नौनिहाल का ध्यान रखने का भी प्रयास किया ।

जुनून भी ऐसा की तकलीफों के बावजूद महिला ने हार नही मानी ।

हर हाल में वह परीक्षा नहीं छोड़ना चाहती थी ! इससे पूर्व 29 अक्टूम्बर के दिन भी एग्जाम के दौरान नाजमीन बानो ने प्रसव की तकलीफों के बीच अपनी परीक्षा दी थी ! और उसी दौरान नाजमीन को शहर के अरावली हॉस्पिटल में भर्ती करवाया गया और उसी शाम को नाजमीन ने एक बच्ची को जन्म दिया ।

सिजेरियन से प्रसव होने के बावजूद महिला ने हार नही मानी और हॉस्पिटल में रहकर एग्जाम की तैयारियों को पूरा किया।

नाजमीन में सेकण्ड ग्रेड परीक्षा में उतीर्ण होने को लेकर दिख रहे जुनून को पूरा करने के लिए अरावली हॉस्पिटल के स्टाफ और परिजनों द्वारा भी भरपूर सहयोग किया गया ! इस होसले और जूनून की बदोलत ही नाजमीन बानो शिक्षका बनने की ख्वाहिश लेकर एम्बुलेंस के साथ परीक्षा केंद्र पहुची ।

नाजमीन बानो का यह प्रयास सभी लोगो के लिए हार न मानने का श्रेष्ठ उदाहरण है ।

If You Like This Story, Support NYOOOZ

NYOOOZ SUPPORTER

NYOOOZ FRIEND

Your support to NYOOOZ will help us to continue create and publish news for and from smaller cities, which also need equal voice as much as citizens living in bigger cities have through mainstream media organizations.

डिसक्लेमर :ऊपर व्यक्त विचार इंडिपेंडेंट NEWS कंट्रीब्यूटर के अपने हैं,
अगर आप का इस से कोई भी मतभेद हो तो निचे दिए गए कमेंट बॉक्स में लिखे।