बीएचयू अस्पताल का कामकाज ठप कर धरने पर बैठे नर्सिंग अफसरों के विरोध में उतरे जूनियर डॉक्टर, निकाला मार्च

संक्षेप:

  • इमरजेंसी में एमएस पर पिटाई का आरोप लगाकर छह दिन से धरने पर बैठे नर्सिंग अफसर।
  • धरने पर बैठे नर्सिंग अफसरों के विरोध में अब जूनियर डॉक्टर उतर आए।
  • जूनियर डॉक्टरों ने एमएस आफिस के पास से मार्च निकाला।

वाराणसी- बीएचयू अस्पताल की इमरजेंसी में एमएस पर पिटाई का आरोप लगाकर छह दिन से कामकाज ठप कर धरने पर बैठे नर्सिंग अफसरों के विरोध में अब जूनियर डॉक्टर उतर आए हैं। बृहस्पतिवार की शाम जूनियर डॉक्टरों ने एमएस आफिस के पास से मार्च निकाला।

सुपरस्पेशियलिटी ब्लॉक में नर्सिंग अफसरों के धरना स्थल के सामने पहुंचकर नारेबाजी भी की। उन्होंने नर्सिंग आफिसरों के आरोप को गलत बताते हुए धरने पर सवाल खड़ा किया। उधर, विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा छह दिन बाद भी कोई फैसला नहीं लिया जा सका है।

शिक्षा मंत्रालय को जांच की जिम्मेदारी
अब नर्सिग आफिसरों के शिकायतों का संज्ञान लेते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय ने शिक्षा मंत्रालय को जांच करने की जिम्मेदारी दी है। बीएचयू सुपरस्पेशियलिटी ब्लॉक के पास आठ जनवरी से ही नर्सिंग आफिसर कामकाज छोड़कर एमएस के इस्तीफे की मांग पर अडे़ हैं। बृहस्पतिवार को सुबह सुंदरकांड का पाठ कर विश्वविद्यालय प्रशासन से कार्रवाई की मांग की।

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चेतावनी दी अगर विश्वविद्यालय प्रशासन ने जल्द ही कोई निर्णय नहीं लिया तो वह भूख हड़ताल करने को बाध्य होंगे। देश भर के नर्सिंग आफिसर्स एसोसिएशन की शिकायत पर स्वास्थ्य मंत्रालय में डिप्टी डायरेक्टर राकेश कुमार ने शिक्षा मंत्रालय को मामले में जांच कर रिपोर्ट देने को कहा है।

जांच कमेटी ने आरोपों को बताया गलत

जांच कमेटी ने रिपोर्ट में आरोपों को आधारहीन बताया है। बीएचयू कुलसचिव की ओर से जारी आदेश में बताया गया है कि शिकायतकर्ता एवं चश्मदीदों का बयान दर्ज करने, वीडियो फुटेज देखने के बाद जांच समिति ने बताया कि एमएस पर लगाए गए आरोपों में कोई सत्यता एवं आधार नहीं है। ऐसे में कोरोना महामारी को देखते हुए नर्सिंग अफसरों को तत्काल ड्यूटी पर लौटने और कोविड महामारी अधिनियम 1897 तथा आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 का उल्लंघन न करने की अपील की गई है।

हॉस्टल में नहीं मिला कमरा, वीसी आवास पहुंची नेपाल की छात्रा

बीएचयू के विधि संकाय में पढ़ने वाली नेपाली छात्रा को हॉस्टल में उसके कमरे में प्रवेश नहीं मिला तो नाराज होकर वह बृहस्पतिवार की रात कुलपति आवास पहुंच गई। सामान लेकर छात्रा के  कुलपति आवास पहुंचने की सूचना मिलने पर प्रॉक्टोरियल बोर्ड के लोग भी वहां पहुंचे और मनाने का प्रयास किया लेकिन छात्रा तुंरत कमरा खोलने की मांग पर अड़ी रही। 

रात करीब 11 बजे कुलपति आवास पर पहुंची बीए एलएलबी चतुर्थ वर्ष आठवें सेमेस्टर की छात्रा नीतू शाह ने बताया कि  इंटरनेशनल गर्ल्स हॉस्टल कमरा नंबर पांच में वह रहती है। कोरोना संक्रमण की वजह से दो साल पहले वह घर चली गई थी। अब जब वह विश्वविद्यालय में आई है तो उसका कमरा उसे नहीं दिया जा रहा है। जबकि उसमें उसकी मार्कशीट, डिग्री सहित कई जरूरी किताबें हैं।

बताया कि पांच जनवरी को वीसी को मेल कर भी इसकी जानकारी दी थी, बावजूद इसके हॉस्टल में कमरा नहीं मिला। कहा कि दो साल से लगातार संपर्क कर रही हूं। कुछ नहीं हुआ। विश्वविद्यालय प्रशासन की गलती की वजह सेपरेशान होना पड़ रहा है। इस तरह की स्थिति तब है जब एक इंटरनेशनल छात्रा होने की वजह से उसे इंटरनेशनल सर्विस चार्ज भी देना पड़ता है। उधर छात्रा को चीफ प्रॉक्टर आफिस ले जाया गया, जहां उससे बातचीत की जा रही है।     

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