बीएचयू कुलपति गिरीश चंद्र त्रिपाठी थे रबड़ स्टाम्प- आप

संक्षेप:

  • `गिरीशचंद्र त्रिपाठी थे स्टाम्प कुलपति`
  • `गलत फैसलों के कारण गई कई जानें`
  • राजनैतिक पार्टियों ने खोला कुलपति के खिलाफ मोर्चा

वाराणसी- विदाई समारोह में बीएचयू के वीसी गिरीश चंद्र त्रिपाठी के गलत नियुक्तियां और प्रायश्चित के कबूलनामे के बाद अब राजनैतिक पार्टियों ने अब बीएचयू कुलपति के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। आम आदमी पार्टी के पूर्वांचल प्रांत संयोजक संजीव सिंह ने कहा कि हमारे आरोप अब कुलपति के बयान से स्पष्ट हो गया कि इनके पीछे छिपा कोई और कुलपति था जो सभी कामकाज में हस्तक्षेपकर रहा था। ये सिर्फ रबर स्टाम्प कुलपति थे। ऐसी स्थिति में कुलपति के पूरे कार्यकाल का हर फैसला जांच के दायरे में आ जाता है। उसमें गैरमानक की दवाओं की आपूर्ति जिससे निर्दोष मरीजों की आँख की रोशनी

"अखफोङवा" काण्ड के तहत चली गयी या आक्सीजन के नाम पर औद्योगिक नाइट्रस आक्साइड गैस की आपूर्ति हो। इनके गलत फैसलों के कारण दर्जनों जानें गई और कितने ही लोग विकलांग हो गए। वहीं नियुक्तिओं के मामले में देखा जाय तो विभिन्न संकायों में योग्य लोगों की अनदेखी कर अयोग्य या मानक को न पूरा करने वाले लोगों की नियुक्ति लेक्चरर के रूप में कर दिया गया वही फिजी में यौन शोषण का भगोड़ा अपराधी ङा ओ.पी .उपाध्याय जैसे लोगों को सर सुंदरलाल अस्पताल का मेडिकल सुपरिडेंट बना देना,छेड़खानी का विरोध करनें वाली अपने ही छात्राओं पर आधी रात को लाठीचार्ज कराकर उन्हें पीटवाना, कुलपति जैसे जिम्मेदार पद पर बैठे व्यक्ति की गैरजिम्मेदारी साफ दिखी। ये कृत्य देश और विदेश में अपनी अलग पहचान रखने वाले बी.एच.यू. विश्वविद्यालय के कुलपति की है जो किसी भी दशा में क्षम्य नहीं हो सकती। इस तरह के अक्षम लोग कुलपति होंगे तो किस तरह के मेधावी संस्थानों से निकलेंगे समझा जा सकता है।

भविष्य में कोई कुलपति या कोई अन्य जिम्मेदार व्यक्ति ऐसी हरकत न करे इसके लिए इनके पूरे कार्यकाल की सी.बी.आई. जांच और तत्काल प्रभाव से इनकी व इनसे जबरन गलत कराने वाले व्यक्ति की गिरफ्तारी होनी चाहिए। इनका सार्वजनिक बयान अपराध स्वीकार कर चुका है। जांच अन्य संलिप्त लोगों पर कार्रवाई के लिए आवश्यक है। ठीक से तो हत्या की साजिश और हत्या का भी मुकदमा दर्ज होना चाहिए। विश्वविद्यालय का मान सम्मान प्रतिष्ठा धूलधूसरित करने के लिए संस्था की मानहानि का भी मामला बनता है। जिसे न्यायालय के ध्यान में लाया जाना आवश्यक है। इसे जनहित वाद के जरिए न्यायालय में रखने पर विचार किया जा रहा है।

ये भी पढ़े : सारे विश्व में शुद्धता के संस्कार, सकारात्मक सोच और धर्म के रास्ते पर चलने की आवश्यकता: भैय्याजी जोशी


If You Like This Story, Support NYOOOZ

NYOOOZ SUPPORTER

NYOOOZ FRIEND

Your support to NYOOOZ will help us to continue create and publish news for and from smaller cities, which also need equal voice as much as citizens living in bigger cities have through mainstream media organizations.

अन्य वाराणसीकी अन्य ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें और अन्य राज्यों या अपने शहरों की सभी ख़बरें हिन्दी में पढ़ने के लिए NYOOOZ Hindi को सब्सक्राइब करें।

Related Articles