भारत में पहली बार यहां होने जा रहा 8वां थिएटर ओलंपिक्स का आयोजन

संक्षेप:

  • वाराणसी में होगा थ्रिएटर ओलंपिक्स का आयोजन
  • 8वां थिएटर ओलंपिक्स के लिए शुरू हुई तैयारी
  • 11से 25 मार्च तक चलेगा कार्यक्रम

वाराणसी: दुनिया का सबसे बड़ा थिएटर फेस्टिवल ओलंपिक का आयोजन वाराणसी में होगा। बता दें कि देश में पहली बार यह कार्यक्रम का आयोजित होने जा रहा है। फेस्टिवल का आयोजन 11 मार्च से 25 मार्च के बीच होगा। नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (एनएसडी) द्वारा आयोजित थिएटर ओलम्पिक्स 2018 के वाराणसी चौप्टर का आयोजन भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के सहयोग से नागरी नाटक मंडल वाराणसी के साथ मिलकर किया जा रहा है।

तीन नामों से जाना जाता है शहर

वाराणसी को काशी और बनारस के नाम से भी जाना जाता है। यहां की सभ्यता सबसे पुरातन मानी जाती है। यहां के थिएटर सर्कल को पुनर्जीवित करने हेतु 8वां थिएटर ओलम्पिक्स एक महत्वपूर्ण पड़ाव साबित होगा। जिसके माध्यम से शहर को लोक कला, राष्ट्रीय थिएटर और अंतरराष्ट्रीय थिएट्रिकल प्रोडक्शन से रूबरू होने का अवसर मिलेगा।

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कार्यक्रम में होंगी 15 प्रस्तुतियां

बनारस के लोगों को 15 बेहतरीन प्रस्तुतियों को कार्यक्रम में देखने का अवसर मिलेगा। जिनमें खासतौर से आमंत्रित नाटक ‘रुदाली’ (उषा गांगुली) ‘वेलकम ज़िंदगी’(सौम्या जोशी) ‘शांति’ (हिमानी शिवपुरी), ‘खूबसूरत बाला’ (हेमा सिंह),’घुमायी’ (बलवंत ठाकुर) और 2 अंतरराष्ट्रीय प्रोडक्शन ‘सकुरा’ (कियेन योशिमुरा, जापान) और ‘एडम’ (स्कॉटलैंड, द यूके) शामिल है।

सेमिनार का भी होगा आयोजन

शहर में एक नेशनल सेमिनार का आयोजन भी किया जाएगा। जिसका विषय है ‘द ट्रडीशन ऑफ थिएटर इन इंडिया’ और थिएटर की जानी-मानी हस्तियों के साथ इंटरैक्शन की सीरीज ‘लिविंग लेजेंड’ का आयोजन भी होगा। नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा सोसायटी के एक्टिंग चेयरमैन डॉ. अर्जुन देव चरण कहते हैं, “कला संचार का सबसे पुराना माध्यम है और एक कलाकार के लिए सबसे बड़ी खुशी का अवसर तब होता है जब वह उन दर्शकों के सामने अपनी कला का प्रदर्शन करता है जो कला को प्रोत्साहित करते हैं, उन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पडता है कि वे दुनिया के किस हिस्से से संबध रखते हैं। एक तरह से थिएटर एक ऐसा माध्यम है जो अलग-अलग संस्कृतियों और परम्पराओं के लोगों को एक छत के नीचे लाने और एकजुट करने की ताकत रखता है।

देश के कई शहरों में होगा आयोजन

8वें ओलंपिक्स के तहत देश भर में 51 दिनों तक चलने वाले इस महोत्सव के दौरान हम थिएटर के माध्यम से दुनिया भर को एक वैश्विक गांव में तब्दील करने का प्रयास करेंगे। नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के डायरेक्टर प्रो. वामन केंद्रे ने कहा कि, पिछ्ले तीन सालों से हम थिएटर ओलंपिक्स को भारत में लेकर आने का सपना देख रहे थे। इस साल हमारा सपना पूरा हो रहा है। हमारे इस सपने को साकार करने में डॉ. महेश शर्मा और मिनिस्ट्री ऑफ कल्चर का अभूतपूर्व सहयोग और रहा है। उनके अपार समर्थन की वजह से ही हमारा सपना आज सच बन सका है।

हम हमेशा से शेक्सपियर और बर्टोल्ट ब्रेच के नाटकों को भारतीय थिएटर का हिस्सा बनते देखते आ रहे हैं। मगर भारत में भी बेहतरीन नाटकों का लेखन होने के बावजूद इस तरह का प्रभाव हम अब तक नहीं छोड़ सके हैं। भारतीय थिएटर को दुनिया के नक्शे पर महत्वपूर्ण स्थान दिलाने में यह एक बड़ा कदम है। हमें अपनी थिएटर परंपरा पर गर्व होना चाहिए। हमारे नाटकों का इतिहास 2500 साल पुराना है।

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