वाराणसी: वीरांगना लक्ष्मीबाई जन्मस्थली उपेक्षा की शिकार

संक्षेप:

  • 19 नवंबर को वीरांगना लक्ष्मीबाई जयंती
  • इन दिनों लक्ष्मीबाई की जन्म स्थल  अंधेरे में गुम है
  • नगर ,पर्यटन और बिजली विभाग इसके जिम्मेदार

वाराणसी- देश 19 नवंबर को वीरांगना लक्ष्मीबाई जयंती मनाने जा रहा है। लेकिन इन दिनों लक्ष्मीबाई की जन्म स्थल जन्म अंधेरे में गुम है। स्थानीय प्रशासन के नकारेपन के चलते इस वीरांगना का जन्म स्थल पर बना स्मारक परिसर इन दिनों अंधेरे में है। बिजली विभाग ने परिसर की लाइट काट दी है। रानी लक्ष्मी बाई घोड़े पर सवार है लेकिन अंधेरे में है। कनेक्शन जोड़ने के नाम पर नगर निगम, पर्यटन विभाग और बिजली विभाग एक दूसरे के पाले में गेंद डाल रहे हैं। सवाल इस बात का है कि जब प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में महापुरूषों के स्मारकों के साथ इस तरह का खिलवाड़ किया जा रहा है तो फिर देश के दूसरे में क्या हाल होगा?

बात-बात में देशभक्ति का राग अलापने वाले बीजेपी शासन में महापुरुषों के स्मारकों का क्या हाल ये देखना हो तो चले आईए प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में। अंग्रेजों के साथ आजादी की लड़ाई लड़ने वाली वीरांगना लक्ष्मीबाई का जन्म स्मारक अंधेरे में है। मोमबत्ती की रोशनी में सोए प्रशासन को जगाने की कोशिश की जा रही है। दरअसल बिजली विभाग ने पिछले दिनों लक्ष्मीबाई की भदैनी स्थित जन्म स्थली परिसर की लाइट काट दी। हवाला दिया गया कि परिसर में बिजली कनेक्शन नहीं लिया गया है।

वास्तव में इन दिनों भदैनी क्षेत्र में इंटीग्रेटेड पावर डेवलपमेंट स्कीम के तहत बिजली के तार अंडरग्राउंड किए जा रहे हैं। जहां यह कार्य पूरा होता जा रहा है कनेक्शन व मीटर संबंधित कागजात देखने के बाद तार जोड़े रहा हैं। पिछले इस जब तार जोड़े जा रहे थे उसी दौरान लक्ष्मीबाई स्मारक में बिजली कनेक्शन संबंधित कागजात नहीं दिखाने पर बिजली कर्मचारियों ने बत्ती गुल कर दी। चूंकि यह स्मारक नगर निगम के अधीन आता है, लिहाजा केयरटेकर ने इसकी जानकारी संबंधित अधिकारियों को दी लेकिन किसी ने इसकी सुध नहीं ली। वहीं महापुरूषों की स्मारकों के साथ इस तरह के मजाक को लेकर लोगों में गुस्सा बढ़ने लगा है।

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वहीं बिजली विभाग के अधिकारियों के मुताबिक निजी या सरकारी स्तर पर बिना कनेक्शन बिजली जलाने की अनुमति नहीं दी जा सकती। सपा सरकार में 4 करोड़ रूपए की लागत से इस स्मारक का निर्माण कराया गया। पर्यटन विभाग ने इस स्मारक का निर्माण कराया। बाद में काम पूरा होने पर इसे नगर निगम को हैंडओवर कर दिया। हैरानी इस बात की है कि डेढ़ साल के दौरान नगर निगम ने परिसर में बिजली की कोई ठोस व्यवस्था नहीं की और अब उनकी जयंती पर ही बिजली विभाग की मेहरबानी से वहा अँधेरा पसरा हुआ है।

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