काशी में मोक्ष के लिए वेटिंग लिस्ट में भी लगी कतारें, अब बन रहा नया मोक्ष भवन

संक्षेप:

  • मान्यता है कि वाराणसी में जो आखिरी सांस लेता है, उसे मोक्ष मिल जाता है, अपने आखिरी दिनों में यहां कई लोग आते हैं.
  • वाराणसी के मुक्ति भवन में कुछ दिनों से नहीं बल्कि कई सालों से वेटिंग लिस्ट चल रही है, लोगों को कमरे नहीं मिल पाते.
  • लोगों की सुविधा के लिए काशी विश्वनाथ धाम (कॉरिडोर) प्रॉजेक्ट के तहत नए मोक्ष भवन का निर्माण किया जा रहा है

वाराणसी: ऐसा माना जाता है कि काशी में मृत्यु हो तो जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति मिल जाती है. सदियों से इस पवित्र शहर की संकरी गलियों में स्थित मुक्ति भवन श्रद्धालुओं को उनके अंतिम दिनों या वर्षों में बुलाते आए हैं लेकिन बेहद कम भाग्यशाली लोगों को ही यहां कमरे मिल पाते हैं. यहां वे रहकर अपनी मौत का इंतजार करते हैं. लोगों की मुश्किलें आसान करने के लिए नए भवन का निर्माण किया जा रहा है जहां लोगों के ठहरने के लिए पर्याप्त कमरे होंगे.
वाराणसी के मौजूदा मोक्ष भवनों में रोज दर्जनों आवेदन आते हैं जिनकी वेटिंग लिस्ट कई सालों तक चल रही है. काशी विश्वनाथ धाम (कॉरिडोर) प्रॉजेक्ट के तहत एक सरकारी वित्तपोषित मोक्ष भवन का निर्माण कराया जा रहा है. यहां महिलाओं और पुरुषों के लिए बराबर कमरे होंगे जहां 50 लोग रह सकेंगे.

पवित्र स्थल में बनाया जा रहा है मुक्ति भवन

काशी विश्वनाथ मंदिर के सीईओ विशाल सिंह ने बताया कि काशी के मोक्ष भवनों में से एक केवल दंपतियों को अनुमति देता है जबकि दूसरे में वे लोग ठहरते हैं जो अपने अंतिम दिन गिन रहे हैं. उन्होंने बताया कि जो नया मोक्ष भवन बन रहा है, उसमें ऐसी कोई कंडीशन नहीं होगी. सबसे खास बात यह है कि निर्माणाधीन मुक्ति भवन मौजूदा भवनों से अलग होगा और यह अधिक पवित्र होगा क्योंकि इसका निर्माण काशी विश्वनाथ मंदिर और मणिकर्णिका घाट के बीच पड़ने वाले अविमुक्त केंद्र में हो रहा है.

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मोक्ष भवन में अस्पताल भी होगा

तीन मंजिला इमारत में एक अस्पताल भी होगा और यहां बुकिंग की सर्विस फर्स्ट कम फर्स्ट सर्व के आधार पर होगी. विशाल सिंह ने बताया कि पवित्र स्थल पर मरणासन्न रोगियों के अस्पताल के लिए वृद्ध संत सेवा आश्रम की जमीन ढाई करोड़ खरीदी गई है. यहां की जर्जर इमारत को पहले भी ढहाया जा चुका है और नई इमारत का निर्माण 2021 तक हो जाएगा.

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