काशी विश्वनाथ पर अब नहीं चढ़ेगा पैकेट वाला दूध, प्रतिबंध लगाने की ये है वजह

संक्षेप:

  • काशी विश्वनाथ मंदिर में बाबा भोलेनाथ का दर्शन करने के लिए अब कुछ नए नियमों को मानना पड़ेगा.
  • काशी विश्वनाथ मंदिर में अब पैकेट का दूध नहीं चढ़ाया जाएगा.
  • अब बाबा विश्वनाथ का गर्भ गृह गगरा और प्लास्टिक की पाइप से नहीं धोया जाएगा.

वाराणसी: काशी विश्वनाथ मंदिर में बाबा भोलेनाथ का दर्शन करने के लिए अब कुछ नए नियमों को मानना पड़ेगा. काशी विश्वनाथ मंदिर में अब पैकेट का दूध नहीं चढ़ाया जाएगा. वहीं, अब बाबा विश्वनाथ का गर्भ गृह गगरा और प्लास्टिक की पाइप से नहीं धोया जाएगा. पहले बाबा विश्वनाथ को गगरा से ही जल चढ़ता था, लेकिन जल भरे गगरा के हाथ से छूटने और शिवलिंग के खंडित होने की आशंका पर मंदिर न्यास ने श्रद्धालुओं को गगरा ले जाने पर रोक लगा दी है. लेकिन मंदिर के सेवादार अभी भी प्लास्टिक की पाइप गर्भ गृह में ले जाकर गगरा भरते हैं और उससे शिवलिंग की धुलाई करते हैं.

इसकी शिकायत मंदिर न्यास के अध्यक्ष को मिली. इस पर वे शुक्रवार को मंदिर में निरीक्षण करने पहुंचे, आरती से पहले हो रहे मंदिर की धुलाई के दौरान उन्होंने गगरा का प्रयोग देखा. इस पर उन्होंने अपर मुख्य कार्यपालक को बुलाकर कहा कि इसकी जगह पीतल की बाल्टी रखवाएं और लोटे से पानी लेकर धुलाई करें.

मंदिर के अखंड दीप को धोया नहीं जाए- आचार्य अशोक द्विवेदी

ये भी पढ़े : सारे विश्व में शुद्धता के संस्कार, सकारात्मक सोच और धर्म के रास्ते पर चलने की आवश्यकता: भैय्याजी जोशी


इसे हर हाल में आरती से पहले वाली धुलाई के दौरान यह पालन कराया जाए. इसके साथ ही उन्होंने धुलाई के दौरान देखा कि गर्भगृह में जल रहे अखंड दीप को भी सेवादार हटाकर धुलाई कर रहे हैं. इस पर उन्होंने अखंडदीप को हटाने को पूजा के नियमों के विरुद्ध बताया है. काशी विश्वनाथ मंदिर में भक्त प्रतिदिन हजारों लीटर दूध से बाबा का अभिषेक करते हैं. जब दूध कम हुआ तो लोग पैकेट वाला दूध शिवलिंग पर चढ़ाने लगे. इसे देखते हुए एक कंपनी ने मंदिर परिसर के अंदर एक कांउटर खोला. यहां दूध और पेड़ा की बिक्री शुरू हुई.

पैकेट वाला दूध होता है अशुद्ध- आचार्य अशोक द्विवेदी

न्यास के अध्यक्ष आचार्य अशोक द्विवेदी ने अब पैकेट वाले दूध को अशास्त्रीय बताया है. उन्होंने कहा कि पाश्चुराइजेशन प्रक्रिया के दौरान दूध को पहले निश्चित तापमान तक गर्म किया जाता है. फिर ठंडा कर पैकेट में भरा जाता है. इस दूध में फैट और अन्य पोषक तत्व मेंटेन किए जाते हैं. उन्होंने कहा कि किसी भी पूजा में गर्म दूध नहीं चढ़ाया जाता है, इसलिए पैकेट वाला दूध का पूजन में प्रयोग नियमों के विरुद्ध है. इसीलिए पैकेट वाले दूध को प्रतिबंधित करने के लिए कहा गया है.

If You Like This Story, Support NYOOOZ

NYOOOZ SUPPORTER

NYOOOZ FRIEND

Your support to NYOOOZ will help us to continue create and publish news for and from smaller cities, which also need equal voice as much as citizens living in bigger cities have through mainstream media organizations.

अन्य वाराणसीकी अन्य ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें और अन्य राज्यों या अपने शहरों की सभी ख़बरें हिन्दी में पढ़ने के लिए NYOOOZ Hindi को सब्सक्राइब करें।

Related Articles