पहले गुंडई और फिर हड़ताल ऐसी है BHU डॉक्टरों की दांस्ता

संक्षेप:

चोरी और सीनाजोरी ये मुहावरा यदि कहीं सही बैठता है तो वो है BHU के रेजिडेंट डॉक्टरों पर। हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि BHU के रेजिडेंट डॉक्टर पहले तो अस्पताल में मरीजों से गुंडई और मारपीट करते हैं और फिर खुद को कार्रवाई से बचाने के लिए बिना किसी नोटिस के हड़ताल पर चले जाते हैं।   

पहले मरीज के साथ बदसलूकी और मारपीट के बाद कार्रवाई से बचने के लिए हड़ताल। कुछ ऐसी ही हालत काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के सर सुन्दरलाल चिकित्सालय से जुड़े रेजिडेंट डाक्टरों की है जो मरीज के लिए भगवान कम यमराज ज्यादा दिखाई देते हैं। हैरान कर देने वाली ये घटना कल तब हुई जब BHU संस्कृत विभाग के शास्त्री थर्ड ईयर का छात्र डॉक्टर से इलाज कराने सर्जरी विभाग पहुंचा। जहां मौजूद डॉक्टर ने लम्बे इन्तजार के बाद छात्र का इलाज करने से ही मना कर  दिया। हद तो तब हो गई जब छात्र इसका कारण पूछ बैठा, नाराज तीन डाक्टरों ने छात्र के सिर पर तेज वार किया बल्कि घसीट कर वार्ड से बाहर भी कर दिया। नाराज छात्र लंका थाना पहुंचकर तहरीर देकर FIR दर्ज कराई। लेकिन यही बात आरोपी डॉक्टरों को नागवार गुजरी और आज हड़ताल पर चले गए। डॉक्टरों के अचानक हड़ताल पर चले जाने से अस्पताल में मरीज दर दर भटकते दिखाई दिए लेकिन डॉक्टर रहे की उनका इलाज करने के बजाय उन्हें अस्पताल से वापस जाने को कह दिया।    

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