अब गंदे नाले, सीवर और गंगा के पानी से हो सकता है गंभीर बीमारियों का इलाज

संक्षेप:

  • सीवर और नाले का पानी करने वाली है अब संजीवनी का काम
  • काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और छात्रों ने किया ऐसा रिसर्च
  • गंभीर बीमारियों का किया जा सकता है इलाज

वाराणसी: गंगा के साथ-साथ सीवर का पानी और नाले का पानी अब संजीवनी का काम करने वाली है। जी हां! यह सुनकर आपको अटपटा जरूर लग रहा होगा लेकिन आप को जब पता चलेगा कि आखिर कैसे सीवर का पानी और गंदे नाले का पानी लोगों के लिए संजीवनी का काम कर करेगा तो आप हैरान हो जाएंगे।

वाराणसी के काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर और छात्रों ने एक ऐसा रिसर्च किया है जिससे गंदे नाले , सीवर और गंगा के पानी से गंभीर बीमारियों का इलाज किया जा सकता है। आखिर कैसे गंभीर बीमारियों का इलाज गंदे नाली और सीवर के पानी से किया जा सकता है, जानिए इस खास रिपोर्ट में...

वाराणसी के काशी हिंदू विश्वविद्यालय में यूं तो आए दिन कुछ न कुछ नया देखने को मिलता है लेकिन इस बार विश्वविद्यालय के मैक्रोलॉजी एन्ड हेल्थ रिसर्च डिपार्टमेंट के प्रोफेसर और छात्रों ने मिलकर एक ऐसा प्रयोग किया, जिसमें इन्हें सीवर के गंदे पानी से मिले जीवाणुओं से गंभीर बीमारियों के इलाज किए जाने का पता चला है।

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यही नहीं इस विभाग ने इसको साबित करने के लिए जानवरों पर प्रयोग भी कर चुके हैं। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर गोपाल नाथ ने बताया कि काशी हिंदू विश्वविद्यालय में इंडियन मेडिकल इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस मे उत्तर प्रदेश ईस्ट और बिहार की  पहली वायरल रिसर्च एंड डायग्नोस्टिक लैब बनकर तैयार हो गई है। इसमें यूपी, बिहार समेत आसपास के प्रदेश के घातक वायरस पर शोध किया जा रहा है। पहले फेज में इन राज्यों में होने वाले 25 घातक बीमारियों और उनके वायरस पर शोध कि के साथ ही इन वायरल से बचने के लिए वैक्सीन भी बनाए जा रहे हैं। यह वैक्सीन गंभीर बिमारी से पीड़ित और इंफेक्शन से ग्रसित रोगियों के लिए जीवन दायक होगा।

मौसम में होने वाले बदलाव के साथ बढ़ने वाली वायरल  बीमारियों से अब यूपी, बिहार और आसपास के राज्यों के लोगों को राहत मिलेगी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय में रोगों के इलाज के लिए शोध शुरू की है और इन बीमारियों से बचाव के लिए रिसर्च के बाद दवाई भी बनाई जा रही है। इसके साथ ही रिसर्च टीम उस क्षेत्र में जाकर यह भी पता करेगी।

क्षेत्र में इस वायरल का इतना ज्यादा प्रभाव क्यों है और लोगों को जागरूक भी कर रही है। डेंगू, चिकनगुनिया, जापानी इंसेफिलाइटिस, एच1एन1, एच 5 एन1, पेडेमिक इंफ्यूएंजा, निपाह वायरस, हंटा वायरस, ह्यूमेन इंट्रो वायरस 71, क्रीमी कांगो, पोलियो वायरस, इबोला वायरस, मारर्बग, येलो फीवर वायरस, सार्स वायरस, मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम, ल्हासा फीवर, रोटा वायरस, हेपिटाइटिस सी और ई, प्रियोन डिजीज आदि बीमारियों पर रिसर्च किया जा रहा है।

आईएमएस बीएचयू वायलर एंड डायग्नोस्टिक लैब के इंचार्ज प्रोफेसर गोपालनाथ ने बताया कि एक्सीडेंटल या इंफेक्शन से ग्रसित मरीजों के घाव को सीवर और गंदे नाले के पानी से मिले वैक्टीरया से सही हो सकता है और यह मात्र 48 घंटे के अंदर ही अपना रिजल्ट देना प्रारंभ कर देता है। गंगा , सीवर ,नाले और तलाबो के पानी से निकले बैक्टीरियों से कई गंभीर बीमारियों का इलाज किया जा सकता है और इसका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं।  फिलहाल जो प्रयोग किया गया है वह सीवर के गंदे पानी और गंगा के पानी में मिले वैक्ट्रिया से किया गया है।

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