CWG 2018- वेटलिफ्टर पूनम यादव ने दिलाया भारत को 5वां गोल्ड, दांदुपुर में खुशी का माहौल

संक्षेप:

  • वेटलिफ्टर पूनम यादव ने कॉमनवेल्थ गेम में जीता गोल्ड
  • वाराणसी के दांदुपुर की रहने वाली हैं वेटलिफ्टर पूनम यादव
  • पूनम के पिता किसान हैं और वो रेलवे में टीटीई की नौकरी करती हैं

वाराणसी. कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत ने लगातार चौथे दिन सोना जीता। वाराणसी के दांदुपुर की रहने वाली वेटलिफ्टर पूनम यादव ने 69 किग्रा कैटेगरी में 222 (स्नैच में 100 और क्लीन एंड जर्क में 122) किग्रा का वजन उठाकर गोल्ड मेडल जीता। पूनम के घर पर ख़ुशी का माहौल है। सभी एक दुसरे को मिठाइयां खिला रहे हैं। आपको बता दे कि पूनम के पिता किसान हैं और पूनम इस समय रेलवे में टीटीई की नौकरी कर रही हैं।

पूनम की मां कहती है, वो पल भूले नहीं जा सकते। जब भूखे भी रहना पड़ता था। बेटी के खेलने पर लोग ताने देते थे, आज वही सलाम करते है।
-मां उर्मिला बताती हैं कि 2014 ग्लासगो में कॉमनवेल्थ गेम्स में जब बेटी ने ब्रॉन्ज मेडल जीता तो हम लोगों के पास इतने पैसे भी नहीं थे कि मिठाई बांट सके। तब पूनम के पापा कहीं से इंतजाम कर लेकर आये। तब घर में खुशियां मनाई गयी।
-दादी संदेयी बताती है कि जब एक बार पूनम को वेट उठाते देखा तो खूब रोयी। डर लगता था कि इतना भारी लोहा कैसे उठाती है। पूनम खेतो में खूब मेहनत करती थी।

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7 साल में ऐसे बदली किस्मत
-पिता कैलाश ने बताया कि एक बार कर्णम मल्लेश्वरी का गेम देखा जिन्होंने ओलंपिक मैच में इण्डिया को गोल्ड मेडल जीता था। बस यहीं से सपना था कि मेरी बेटी भी मेडल लाये। जिसने आज इस सपने को सच कर दिया।
-2011 में पूनम ने ग्राउंड जाना शुरू किया। घर और खेतो का सारा कामकाज भी वही करती थी।
-कैलाश ने बताया गरीबी के चलते पूरी डाइट भी उसे नहीं दे पाता था। फिर अपने गुरु स्वामी अगड़ानंद जी से यह बात बतायी। उन्होंने मुझे स्थानीय समाजसेवी और नेता सतीश फौजी के पास भेजा। उन्होंने पूनम को खिलाड़ी बनाने में पूरा आर्थिक योगदान दिया।
-सतीश फौजी ने बताया कि पूनम के अंदर गजब का टेम्परामेंट था। मैंने उसके महीने के डाइट का पूरा खर्च उठाने का वादा किया और करीब 18 से 20 हजार तक हर महीने मदद करने लगा। पूनम ने 2014 ग्लासगो में कॉमनवेल्थ गेम्स में ब्रॉन्ज मेडल इण्डिया को देकर प्रयास को सार्थक भी कर दिया।

2014 ग्लासगो में कॉमनवेल्थ गेम्स भेजने के लिए पैसे नहीं थे
-पिता कैलाश ने बताया कि पूनम वेटलिफ्टिंग के लिए तैयार हो गयी लेकिन उसे विदेश भेजने के पैसे जुटाने में मुश्किल हो रही थी। तब दो भैंसों को बेच दिया और दोस्तों-परिवार वालो से कर्ज लिया। ब्रॉन्ज मेडल लाकर उसने सब सपना मानो पूरा कर दिया। पूनम ने अपने दम पर सारे कर्जो को भर कर अपना घर भी खड़ा कर दिया है। आज पूरा परिवार उसके स्ट्रगल को याद नहीं करना चाहता है।

ऐसी है पर्सनल लाइफ
-पूनम ने अभी बीए थर्ड ईयर कम्प्लीट किया है। अभी टीटीई की नौकरी भी कर रही हैं।
-पूनम के 2 भाई 4 बहनें हैं। दोनों भाई आशुतोष यादव और अभिषेक यादव हॉकी में नेशनल प्लेयर हैं।

पूनम ने ग्लासगो में 63 किलोग्राम कैटेगरी में जीता था ब्रॉन्ज
- पूनम ने 2014 ग्लासगो कॉमनवेल्थ गेम्स में 63 किलोग्राम कैटेगरी में ब्रॉन्ज जीता था।
- उन्होंने 2017 कॉमनवेल्थ चैम्पियनशिप (गोल्ड कोस्ट) में 69 किग्रा कैटेगरी में सिल्वर मेडल जीता था।
- उन्होंने 2015 में पुणे में हुई कॉमनवेल्थ चैम्पियनशिप में 63 किग्रा कैटेगरी में गोल्ड जीता था।
- पिछले साल अमेरिका के अनॉहाइम में हुई वर्ल्ड चैम्पियनशिप में वह 69 किग्रा कैटेगरी में नौवें नंबर पर रहीं थीं। तब उन्होंने 218 (स्नैच में 98 और क्लीन एंड जर्क में 120) किग्रा का वजन उठाया था।
- हालांकि, कजाखिस्तान के अलमाटी में 2014 में हुई वर्ल्ड चैम्पियनशिप में उनका प्रदर्शन बहुत बढ़िया नहीं रहा था। तब वह 63 किग्रा कैटेगरी में 20वें नंबर पर रहीं थीं।

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