पढ़िए Google की नौकरी छोड़ संन्यासी बनी लड़की की कहानी

संक्षेप:

  • Google की नौकरी छोड़कर बनी संन्यासी
  • दिल्ली की रहने वाली है ब्रह्मवादिनी
  • दिल्ली यूनिवर्सिटी से हुई पढ़ाई

वाराणसी: कहते हैं कि इंसान को यदि भगवान और अध्यात्म की प्राप्ति हो जाए तो वह सांसारिक मोह माया को छोड़कर बस इसी रास्ते पर चल पड़ता है। कुछ ऐसी ही कहानी है वाराणसी की परम धर्म संसद में हिस्सा लेने पहुंची सबसे कम उम्र की संन्यासिनी साध्वी ब्रह्मवादिनी देवी स्कंद की।

मूल रूप से दिल्ली की रहने वाली ब्रह्मवादिनी देवी अपना पिछला नाम बताने को तैयार नहीं है लेकिन उन्होंने लगभग 4 महीने पहले गूगल में 80, 000 रुपये महीने की नौकरी छोड़कर संन्यास ले लिया। संन्यास लेने की वजह क्या रही इसके पीछे उनका कहना है कि सिर्फ और सिर्फ अध्यात्म और अपने अंदर भगवान की खोज करने के बाद उन्हें यह ज्ञान हुआ कि अब सांसारिक मोह माया में कुछ नहीं है जो भी है वह निरंकार यानी अपने अंदर समाहित भगवान में ही हैं और उन्होंने सब कुछ छोड़ कर इस मार्ग पर चलना ही बेहतर समझा।

साध्वी ब्रह्मवादिनी ने बताया कि दिल्ली में उनके पिता का गिफ्ट आइटम का बिजनेस है। मां हमेशा से अध्यात्मिक की तरफ झुकी रही और बड़ा भाई पढ़ाई पर ध्यान देता रहा। दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन करने के बाद सीएस की पढ़ाई कंप्लीट करने के साथ ही ब्रह्मवादिनी को गूगल में नौकरी मिली।

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लगभग डेढ़ साल तक उन्होंने गूगल में नौकरी करने के बाद एक दिन अचानक से संन्यास ले लिया। साध्वी ब्रह्मवादिनी ने बताया कि उनकी मां का आध्यात्मिक की तरफ जुड़ाव उनके इस संन्यासी जीवन की बड़ी वजह बना क्योंकि मां हमेशा से चाहती थी कि बच्चे अध्यात्मिक की तरह जाएं लेकिन पिताजी हमेशा से इसका विरोध करते थे और इस बार भी कुछ ऐसा ही हुआ जब मैंने 4 महीने पहले संन्यास लिया तो पिताजी और मेरे भाई ने इसका विरोध किया। जब वह मेरी गुरु मां से मिलने पहुंचे तो उनसे मिलने के बाद उनका भी मन बदल गया उनका विरोध इस बात को लेकर था कि आज के दौर में साधु संन्यासीयों पर विश्वास नहीं किया जा सकता।

ब्रह्मवादिनी ने कहा कि फर्जी संन्यासी बन कर जिस तरह से लोगों को ठगा जा रहा है, उसकी वजह से पिताजी और भाई काफी परेशान थे लेकिन मेरी गुरु मां से मिलने के बाद सब का मन बदल गया। उन्होंने मेरे फैसले पर मेरा साथ दिया और आज मेरी गुरु मां की तरफ से मुझे इतना सशक्त बना दिया गया है।

उन्होंने बताया कि ठंड के मौसम में भी मैं सिर्फ एक ही चोले में अपना पूरा वक्त बिता रही हूं। बिना किसी दिक्कत परेशानी के कई दिन भूखा रह ना सिर्फ पानी पर रहना मेरी दिनचर्या में शामिल हो गया। हां गूगल में नौकरी करते वक्त हाई-फाई लाइफ थी, सांसारिक जीवन था लेकिन अब इन सब से मोहभंग हो चुका है। परिवार वाले जब चाहे मुझसे बात कर सकते हैं लेकिन मैं कभी किसी से संपर्क नहीं करती हूं और मेरी जिंदगी आज बिल्कुल ही अच्छे ढंग से चल रही है क्योंकि सब कुछ बदल गया है, जो मोह माया वाली जिंदगी थी उससे दूर होकर अब मैं इस संन्यासी जीवन को जी रही हूं जो मेरे लिए बड़ी बात है।

ब्रह्मवादिनी ने कहा मेरी गुरु मां ने मंदिरों में मौजूद भगवान के नहीं बल्कि मेरे अंदर मौजूद भगवान के दर्शन करवाने का काम किया है, जिसकी वजह से मैंने इतनी बड़ी और हाई प्रोफाइल नौकरी छोड़कर इस तरफ रूख किया।

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